बेरूत, फलस्तीनी शरणार्थियों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के प्रमुख ने कहा है कि इजराइली प्रतिबंध से एजेंसी के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन दीर्घावधि में इसके ‘अस्तित्व को खतरा’ है। संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी ( यूएनआरडब्ल्यूए) के महाआयुक्त फिलिप लाजारिनी ने बेरूत की यात्रा के दौरान ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा ‘‘मेरा स्पष्ट रूप से मानना है कि एजेंसी के सामने आने वाली सभी बाधाओं और दबाव के बावजूद हमारा उद्देश्य तब तक काम करते रहना है जब तक हमें रोका नहीं जाता।’’
पिछले सप्ताह इजराइल ने औपचारिक रूप से यूएनआरडब्ल्यूए पर अपने क्षेत्र में काम करने से रोक लगा दी थी। लाजारिनी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों को पूर्वी यरुशलम छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई थी लेकिन गाजा और वेस्ट बैंक में संचालन पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि पूर्वी यरूशलम में भी यूएनआरडब्ल्यूए द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य और अन्य सेवाएं ‘जारी हैं हालांकि जरूरी नहीं कि उनका दायरा पहले जैसा हो।’ नए ट्रंप प्रशासन में यूएनआरडब्ल्यूए पर अमेरिका की ओर से भी दबाव बढ़ सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा में रह रहे लगभग 20 लाख फलस्तीनियों को पड़ोसी अरब देशों में स्थायी रूप से बसाने का प्रस्ताव रखा था और कहा था कि गाजा पर अमेरिका का दीर्घकालिक नियंत्रण होना चाहिए।
लाजारिनी ने प्रस्ताव को ‘‘पूरी तरह से अवास्तविक’’ बताया और कहा ‘‘हम जबरन विस्थापन की बात कर रहे हैं। जबरन विस्थापन एक अपराध है एक अंतरराष्ट्रीय अपराध। यह जातीय सफाया है।’’
ट्रंप ने मंगलवार को घोषणा की कि वाशिंगटन यूएनआरडब्ल्यूए के लिए वित्तपोषण फिर से शुरू नहीं करेगा जिसपर जनवरी 2024 में बाइडन प्रशासन ने रोक लगा दी थी। यह रोक इजराइल के इन आरोपों के बाद लगाई गई थी कि गाजा में यूएनआरडब्ल्यूए के कर्मचारियों ने सात अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजरायल पर हमास के नेतृत्व वाले हमले में भाग लिया था। इजराइल ने आरोप लगाया था कि गाजा में यूएनआरडब्ल्यूए के लगभग 13 000 कर्मचारियों में से 19 हमले में शामिल थे।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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