राम मंदिर के लिए धन संग्रह पर दिल्ली में संतों की बैठक करेगी विहिप

प्रयागराज, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने शुक्रवार को यहां बताया कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए धन कहां से आए, इस संबंध में विचार के लिए दिल्ली में 10-11 नवंबर को संतों की बैठक बुलाई गई है।

यहां विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक संत का कहना है कि 11 करोड़ परिवारों से संपर्क स्थापित किया जाए। आगामी बैठक में इस विचार पर चर्चा की जाएगी।

उन्होंने कहा कि देश के हजारों साधु संतों की राम मंदिर आंदोलन में भागीदारी रही है। सभी संत पांच अगस्त को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में नहीं आ सके। जिन्हें नहीं बुलाया गया, वे नाराज हैं। दिल्ली की बैठक में 300 प्रमुख संतों को बुलाने का विचार है। वहां उनकी नाराजगी दूर हो जाएगी।

विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तीन वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। मंदिर का निर्माण तीन एकड़ में किया जाएगा और मंदिर के चारों ओर जो परकोटा बनेगा, वह लगभग पांच एकड़ जमीन को कवर करेगा।

राय ने बताया कि श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को मिली 70 एकड़ जमीन में मंदिर परिसर पांच एकड़ का होगा, जबकि शेष 65 एकड़ क्षेत्र में अन्य निर्माण होंगे। पहले चरण में केवल मंदिर पर ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अभी मंदिर की नींव पर काम चल रहा है। लार्सन एंड टुब्रो ने इस कार्य के लिए आईआईटी चेन्नई और रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान को अपने साथ जोड़ा है। नींव भूकंप रोधी हो, इसपर काम चल रहा है।

राय ने बताया कि परीक्षण के तौर पर दो स्थानों पर पाइलिंग (जमीन के भीतर कुआं खोदकर कंकरीट भरना) की गई है। इसकी भार वहन क्षमता जांचने के बाद मंदिर निर्माण क्षेत्र में 1,200 पाइलिंग होगी। एक पाइलिंग का घेरा एक मीटर होगा और इसकी गहराई 100 फुट की होगी।

उन्होंने बताया कि इस पाइलिंग पर पांच फुट मोटा प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा जिसे पत्थरों से 16.5 फुट ऊंचाई दी जाएगी। फिर मंदिर बनना शुरू होगा। 1,200 पाइलिंग का नक्शा जमा किया गया है। मंदिर का नक्शा पहले ही पास हो चुका है।

ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि एलएंडटी के सभी इंजीनियर निर्माण क्षेत्र पहुंच गए हैं जिनमें पाइलिंग के इंजीनियर, डिजाइन के इंजीनियर शामिल हैं। सीमेंट की आयु बढ़ाने के लिए सीमेंट में राख और अभ्रक मिलाने पर अध्ययन चल रहा है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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