नयी दिल्ली थोक खाद्य मुद्रास्फीति मई और जून में लू के कारण चिंता की वजह बनी रहेगी। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने मंगलवार को कहा कि जल्द खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की आशंका है। गौरतलब है कि थोक खाद्य मुद्रास्फीति चार महीने के उच्चतम स्तर पर है।
हालांकि पिछले साल के उच्च आधार का प्रभाव जुलाई और अगस्त में रहेगा लेकिन बाद के महीनों में मानसून की चाल कीमतों को तय करेगी। मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में चार महीने के उच्चतम स्तर 7.74 प्रतिशत पर थी।
अप्रैल 2024 में खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति भी 8.70 प्रतिशत के उच्चस्तर पर रही जबकि अप्रैल 2023 में यह 3.84 प्रतिशत थी। नायर ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति की दिशा तय करने में मौसम एक महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि पिछले साल मानसून बहुत अनुकूल नहीं था और इस साल देश के कुछ हिस्सों में लू चल रही है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि गर्मी की शुरुआत के साथ जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतें ऊपर की ओर बढ़ रही हैं। नायर ने अनुमान जताया कि अगले दो महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ेगी और फिर जैसे ही आधार प्रभाव सहायक हो जाएगा इस साल जुलाई-अगस्त में अस्थायी रूप से गिरावट देखने को मिल सकती है।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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