विदेश मंत्रालय से विदेशियों के अंग प्रतिरोपण मामलों के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति का आग्रह

नयी दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विदेशियों द्वारा किए जाने वाले अंगदान और उनके अंग प्रतिरोपण से संबंधित कार्य के समन्वय के लिए एक नोडल अधिकारी की पहचान करने के वास्ते विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है ताकि इस प्रक्रिया में किसी भी संभावित व्यावसायिक लेन-देन को रोका जा सके।

             विदेश सचिव विनय क्वात्रा को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि अनेक विदेशी नागरिक विभिन्न प्रकार के अंग प्रतिरोपण के लिए भारत आ रहे हैं।  उन्होंने कहा कि वे अंगों के संभावित प्राप्तकर्ता या दाता हो सकते हैं और मेडिकल या अटेंडेंट वीजा पर आ सकते हैं।

             चंद्रा ने 30 जनवरी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हाल में मीडिया में आई एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ऐसे कुछ मामलों में, दाता और प्राप्तकर्ता के बीच संबंध स्थापित करने के लिए दस्तावेजों की सत्यता, उनके पहचान दस्तावेज, निवास का प्रमाण आदि विश्वसनीय रूप से सत्यापित नहीं किए जा सकते और हो सकता है कि वे वास्तविक न हों।’’ उन्होंने मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम 1994 तथा नियमों के तहत विशेष रूप से विदेशियों के लिए प्रावधानों का उल्लेख किया।

             धारा 9(1ए) के तहत, दाता की मृत्यु से पहले उसके शरीर से निकाले गए किसी भी मानव अंग या ऊतक या दोनों को प्राप्तकर्ता में तब तक प्रतिरोपित नहीं किया जाएगा, जब तक कि दाता प्राप्तकर्ता का निकट संबंधी न हो। चंद्रा ने पत्र में कहा, ‘‘जहां दाता या प्राप्तकर्ता निकटतम रिश्तेदार एवं विदेशी नागरिक हैं, वहां मानव अंग या ऊतक या दोनों को हटाने या प्रतिरोपित करने से पहले प्राधिकरण समिति की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होगी: यदि प्राप्तकर्ता विदेशी है और दाता भारतीय नागरिक है तो अनुमति देने वाली समिति ऐसे कार्य को तब तक मंजूरी नहीं देगी जब तक कि वे करीबी रिश्तेदार न हों।’’

             स्वास्थ्य सचिव ने नियम 20 पर भी प्रकाश डाला, जिसके अनुसार जब प्रस्तावित दाता या प्राप्तकर्ता विदेशी हों, तो मूल देश के एक वरिष्ठ दूतावास अधिकारी को फॉर्म 21 के अनुसार दाता तथा प्राप्तकर्ता के बीच संबंध को प्रमाणित करना होता है और यदि भारत में किसी देश का दूतावास न हो तो रिश्ते का प्रमाणपत्र समान प्रारूप में उस देश की सरकार द्वारा जारी किया जाएगा। अनुमति देने वाली समिति भारतीय मूल के विदेशी नागरिक सहित किसी विदेशी नागरिक (जो नजदीकी रिश्तेदार है) को अंगदान करने के लिए सहमति देने वाले सभी भारतीय दाताओं के मामलों की भी अधिक सावधानी से जांच करेगी।

             मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम 1994 की धारा 19 के तहत अंगों के व्यावसायिक लेन-देन के मामले में दंड का प्रावधान है और अंगों के दान के लिए किसी धन का भुगतान या वादा या पेशकश नहीं की जा सकती।

             स्वास्थ्य सचिव ने आग्रह किया कि भारत में स्थित विदेशी देशों के सभी दूतावासों/मिशन और भारत में दूतावास/मिशन मौजूद नहीं होने की स्थिति में संबंधित सरकार को भी जानकारी भेजी जानी चाहिए।

             उन्होंने कहा, “यह भी अनुरोध किया जाता है कि विदेशियों से संबंधित अंगदान और प्रतिरोपण कार्य संबंधी समन्वय के लिए विदेश मंत्रालय द्वारा एक नोडल अधिकारी की पहचान की जा सकती है और इसका विवरण एनओटीटीओ (राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रतिरोपण संगठन) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार के साथ साझा किया जा सकता है।’’ चंद्रा ने कहा, “मैं अंग या ऊतक प्रतिरोपण में किसी भी संभावित व्यावसायिक लेन-देन को रोकने के उद्देश्य से विदेशियों संबंधी प्रतिरोपण की निगरानी के लिए प्रणाली स्थापित करने में आपका सहयोग और समर्थन चाहता हूं।”

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: