विधानमंडलों में नियोजित व्यवधान संविधान की लोकतांत्रिक भावना के विपरीत: बिरला

 नयी दिल्ली,  लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही में सदस्यों की कम हो रही भागीदारी तथा राजनीतिक गतिरोध पर सोमवार को चिंता जताई और कहा कि विधानमंडलों में नियोजित व्यवधान संविधान की लोकतांत्रिक भावना के विपरीत है।

             उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद के नव निर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम मे विधायकों को संबोधित किया।

             लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार  बिरला ने विधायकों से आग्रह किया कि वे सत्र के दौरान सदन में अधिक समय बितायें और विभिन्न पक्षों की राय सुनें  जिससे लोगों के मुद्दों को समझने और उनसे निपटने में उनका नजरिया व्यापक होगा।

      उनका कहना था कि विधानमंडलों में योजनाबद्ध व्यवधान संविधान की लोकतांत्रिक भावना के विपरीत है।

      लोकसभा अध्यक्ष ने कहा  ‘‘जो विधायक सदन में जितनी अधिक तैयारी के साथ आएंगे  उनकी भागीदारी उतनी ही अधिक प्रभावी होगी तथा सदन की कार्यवाही उतनी ही अधिक उत्पादक होगी। सर्वश्रेष्ठ विधायक वही होता है जो सदन की कार्यवाही में पूर्ण सहभागिता करता है और समय-समय पर संसदीय कार्यों को समझकर  अच्छे शोध के साथ तर्कपूर्ण चर्चा करता है।’’

             बिरला के अनुसार  यह चिंता का विषय है कि विधानमंडलों की बैठकों की संख्या घटती जा रही है परंतु देश की सभी विधानसभाओं में महाराष्ट्र विधानसभा की कार्योत्पादकता प्रशंसनीय है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: