भुवनेश्वर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि मानव के अस्तित्व के लिए शांति और सद्भाव का काफी महत्व है तथा करुणा केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे ग्रह पर रहने वाले सभी जीवित और निर्जीव वस्तुओं के लिए भी होनी चाहिए।
मुर्मू ने उत्कल विश्वविद्यालय के 53वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने छात्रों से दूसरों के साथ बातचीत में विनम्रता, नम्रता, प्रेम और करुणा जैसे गुण विकसित करने का आग्रह किया। वह स्वयं भी एक समय में उत्कल विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम सभी को याद रखना चाहिए कि मानव अस्तित्व के लिए शांति और सद्भाव आवश्यक है। करुणा केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे ग्रह पर रहने वाले सभी जीवित और निर्जीव वस्तुओं के लिए भी होनी चाहिए। ’’
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपनी स्वयं की शैक्षिक यात्रा का उल्लेख करते हुए याद किया कि किस तरह स्कूल के दिनों में अपनी मां, मातृभूमि और मातृभाषा से प्यार करना सिखाया जाता था।
उन्होंने अपनी मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर बल दिया और कहा कि यह संस्कृति और विरासत के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देती है।
उन्होंने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया और सभी से देश की ज्ञान परंपरा को बनाए रखने के लिए अपनी जड़ों को पहचानने का आग्रह किया।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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