नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित भारत के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी के कारण न केवल पीने योग्य पानी की मात्रा बल्कि इसकी गुणवत्ता को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं। यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आयी है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि उसके उत्तरदाताओं में से करीब 60 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार की जल निस्पंदन प्रणाली (वाटर फिल्टर) का उपयोग कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े चिंताजनक आंकड़े दर्शाते हैं: मार्च से मई के बीच लू लगने के 24 849 संदिग्ध मामलों में से 56 मौतें हुईं जबकि अकेले मई में 19 189 संदिग्ध मामले सामने आए। इन चिंताजनक आंकड़ों के मद्देनजर पानी की उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने को लेकर आशंकाएं उत्पन्न होती हैं विशेष रूप से मौसम की ऐसी स्थितियों के दौरान। एक सामुदायिक सोशल मीडिया मंच ‘लोकलसर्किल्स’ द्वारा किये गए इस सर्वेक्षण में देश के 322 जिलों के 22 000 से अधिक परिवारों से जवाब प्राप्त किये गए। इसके निष्कर्षों से पता चला ‘‘सर्वेक्षण में शामिल भारतीय परिवारों में से केवल 4 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि उन्हें स्थानीय निकाय से पीने योग्य गुणवत्ता वाला पानी मिलता है 41 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें मिलने वाले पानी की गुणवत्ता अच्छी है लेकिन पीने योग्य नहीं है। इसमें कहा गया है इसके अलावा सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि वे किसी न किसी तरह के आधुनिक जल निस्पंदन तंत्र (वाटर फिल्टर) का उपयोग कर रहे हैं। स्थानीय निकायों से पीने योग्य गुणवत्ता वाला पानी प्राप्त करने वाले घरों में मामूली वृद्धि हुई है – जो 2022 में 2 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 4 प्रतिशत हो गई है – लेकिन पाइप से मिलने वाले पानी की गुणवत्ता को अच्छा मानने वाले नागरिकों का प्रतिशत 2023 में 44 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर 41 प्रतिशत हो गया है। जल शक्ति मंत्रालय के जल जीवन मिशन के आंकड़े प्रगति की एक झलक प्रदान करते हैं जिसके अनुसार मई के अंत तक 75 प्रतिशत से अधिक घरों में नल जल कनेक्शन उपलब्ध है।वर्ष 2019 में 19 30 89 649 (19.30 करोड़) में से 3 23 62 838 (3.23 करोड़) घरों में नल जल कनेक्शन थे जबकि 31 मई 2024 तक 75 प्रतिशत से अधिक घरों (14 82 96 789) में नल जल कनेक्शन हैं। यद्यपि कई राज्यों ने पूर्ण या 80 प्रतिशत से अधिक कवरेज हासिल कर लिया है मंत्रालय ने कहा है कि वह देश भर में 100 प्रतिशत कवरेज प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। हालांकि इन प्रगति के बीच चुनौतियां भी बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय राजधानी में पानी की आपूर्ति के मुद्दे पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच टकराव के कारण सर्वेक्षण ने दिल्ली में पानी की गुणवत्ता के मुद्दे को रेखांकित किया। इस सवाल ‘‘आप पीने खाना पकाने आदि के लिए घर पर पानी को कैसे शुद्ध करते हैं ’’ के उत्तर में बड़ी संख्या (41 प्रतिशत) ने कहा कि वे आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) प्रणाली का उपयोग करते हैं इसके बाद जल शोधक (वॉटर प्यूरिफायर) (28 प्रतिशत) क्लोरीनीकरण फिटकरी अन्य खनिजों का उपयोग (6 प्रतिशत) तथा (8 प्रतिशत) लोग उबालने के बाद पानी का इस्तेमाल करते हैं। आठ प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे पानी को शुद्ध नहीं करते हैं और इसके बजाय पीने या खाना पकाने के लिए बोतलबंद पानी की आपूर्ति लेते हैं। केवल एक प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें शुद्धिकरण की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपूर्ति किया गया पानी शुद्ध है जबकि 4 प्रतिशत ने कहा कि वे पानी को शुद्ध नहीं करते हैं और जैसा पानी उनके पास आता है उसका सेवन करते हैं। लगभग 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे स्थानीय नगर निकाय जल विभाग या पंचायत से अपने घरों में आपूर्ति किए जाने वाले पाइप से पानी की गुणवत्ता से नाखुश हैं। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 24 प्रतिशत लोगों ने पाइप से आने वाले पानी की गुणवत्ता को औसत बताया जबकि 26 प्रतिशत ने इसे खराब बताया। केवल 6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि गुणवत्ता बहुत अच्छी है और 19 प्रतिशत ने कहा कि यह अच्छी है। हालांकि 9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने यह भी कहा कि उन्हें अपने घरों में पाइप से पानी नहीं मिलता है।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common