सुप्रीम कोर्ट ने रिट याचिका सिविल संख्या 645/2022-आईएमए और अन्य बनाम यूओआई और अन्य में अपने आदेश दिनांक 07.05.2024 में निर्देश जारी किया है कि सभी विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों को किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले एक ‘स्व-घोषणा प्रमाणपत्र’ प्रस्तुत करना होगा।सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी और रेडियो विज्ञापनों के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रसारण सेवा पोर्टल (एमआईबी) और प्रिंट एवं डिजिटल/इंटरनेट विज्ञापनों के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पोर्टल पर एक नया फीचर पेश किया है। विज्ञापनदाता/विज्ञापन एजेंसी के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र इन पोर्टलों के जरिए जमा कराना होगा। मंत्रालय ने कहा कि पोर्टल 4 जून, 2024 को सक्रिय हो जाएगा। 18 जून, 2024 को या उसके बाद जारी/प्रसारित/प्रसारित/प्रकाशित होने वाले सभी नए विज्ञापनों के लिए सभी विज्ञापनदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों को स्व-घोषणा प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है। सभी हितधारकों को स्व-प्रमाणन की प्रक्रिया से परिचित होने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए दो सप्ताह की बफर अवधि रखी गई है। वर्तमान में चल रहे विज्ञापनों को स्व-प्रमाणन की आवश्यकता नहीं है। स्व-घोषणा प्रमाणपत्र यह प्रमाणित करता है कि विज्ञापन : (i) में भ्रामक दावे नहीं हैं, और (ii) सभी प्रासंगिक विनियामक दिशानिर्देशों का अनुपालन करता है, जिसमें केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7 और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारिता आचरण के मानदंड शामिल हैं। विज्ञापनदाता को संबंधित प्रसारक, प्रिंटर, प्रकाशक या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को उनके रिकॉर्ड के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र अपलोड करने का प्रमाण प्रदान करना होगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार, वैध स्व-घोषणा प्रमाणपत्र के बिना किसी भी विज्ञापन को टेलीविज़न, प्रिंट मीडिया या इंटरनेट पर चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।