महाकुंभ नगर, प्रयागराज के महाकुंभ मेले में सभी के आकर्षण का केंद्र बनी एप्पल के सह संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स को उनके गुरू स्वामी कैलाशानंद ने नया हिंदू नाम दिया है ‘कमला’। अरबपति महिला कारोबारी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम में कल संगम में डुबकी लगायी थी। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महंत रविंद्र पुरी ने मंगलवार को पीटीआई से बातचीत में कहा “उन्हें (लॉरेन) यहां नया नाम ‘कमला’ मिला है। वह बहुत सहज विनम्र और अहंकार से मुक्त हैं और यहां की सनातनी संस्कृति से खासा प्रभावित हैं।”
महंत रविंद्र पुरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा “अध्यात्म की खोज उन्हें यहां ले आई। इस अखाड़े में उनका जिस तरह का व्यवहार है उससे पता चलता है कि दुनिया की धनी और समृद्ध हस्तियों में से एक होने के बावजूद वह अहंकार से कोसों दूर हैं और किसी तरह का दिखावा नहीं करतीं।”
कुछ छोटे वीडियो क्लिप में वह पीले रंग के सलवार सूट में रुद्राक्ष की माला पहने हुए दिखाई देती हैं। हालांकि वह मीडिया से बातचीत करने से बचती हैं।पुरी ने कहा “वह विश्व के प्रमुख लोगों में से एक हैं। फिर भी वह बहुत सहज हैं। रविवार को मैंने उन्हें एक आयोजन के दौरान मंच पर आकर बैठने को कहा लेकिन वह पीछे ही बैठी रहीं।”
लॉरेन के महाकुंभ में आने के उद्देश्य संबंधी एक सवाल पर पुरी ने कहा “लॉरेन पॉवेल जॉब्स हमारे अखाड़ा में हैं और वह हमारी सनातन संस्कृति देखने आई हैं। साथ ही वह संतों और अपने गुरू से मिलने आई हैं।”
उन्होंने कहा “ हमारी संस्कृति के प्रति उनकी अपार श्रद्धा हैं। वह पहली बार कुंभ के मेले में आई हैं। वह रविवार को हमारे निरंजनी अखाड़ा में आईं और कुछ दिन यहां रहेंगी।”अमृत स्नान करने संगम घाट पर पहुंचे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ने कहा “कमला आई हैं और वह अभी शिविर में हैं। कल भीड़ में रहने के कारण उन्हें कुछ दिक्कत आई है इसलिए वह शिविर में आराम कर रही हैं। वह बहुत सहज और सरल हैं और सनातन धर्म को जानना चाहती हैं। वह गुरू के बारे में जानना चाहती हैं उनके हजारों सवाल हैं जिसका उत्तर हमें देना होता है। सभी प्रश्न सनातन से जुड़े हैं।”
स्टीव जॉब्स (1955-2011) एक अमेरिकी उद्यमी आविष्कारक और दूरदर्शी थे जिन्होंने एप्पल . की स्थापना की एक ऐसी कंपनी जिसने तकनीकी जगत में क्रांति ला दी। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता ने एप्पल को दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक बनने में मदद की।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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