हिमालय में 15,000 फुट की ऊंचाई पर बसे गांव के लोग कर रहे पानी और रोजगार के लिए संघर्ष

ताशीगांग (हिमाचल प्रदेश)  बर्फीले हिमालय में 15 256 फुट ऊंचाई पर बसा छोटा सा गांव ताशीगांग सबसे कठिन परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन की अनेक अनिश्चितताओं के बीच जीवित रहने की जद्दोजहद को बयां करता है। यहां दुनिया का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र है और सिर्फ 62 मतदाता हैं।   ताशीगांग और पड़ोसी गेटे में लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में मतदान होना है। यहां कृषि में होने वाला घाटा  पानी  सड़कें  नौकरियों और आजीविका जैसे मुद्दे हावी हैं।

             उदाहरण के लिए कलजंग डोलमा ने कहा कि राज्य के लोक कल्याण विभाग में अपनी नौकरी खोने के बाद वह अपनी बेटी की स्कूल फीस भरने के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने कहा कि वहां काम करने पर उन्हें हर महीने 13 000 रुपये मिलते थे  जो उनकी नजर में  ठीक-ठाक  थे।

             छह सदस्यों वाले डोलमा के परिवार ने फिर से खेती करनी शुरू कर दी है  जो पीडबल्यूडी विभाग के सड़क निर्माण दल में संविदा कर्मचारी के तौर पर उनकी नौकरी लगने से पहले परिवार की आय का मुख्य स्रोत था।

             वे मुख्य रूप से मटर उगाते हैं लेकिन इससे गुजारा मुश्किल से ही हो पाता है। डोलमा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा  “एक दशक पहले मटर का उत्पादन 100 बोरी होता था  जो घटकर अब 20-25 बोरी रह गया है। इसके परिणामस्वरूप  हम कम राशन खरीदते हैं और कम उपभोग करते हैं।” चूंकि ताशीगांग के पास कोई स्कूल नहीं है  इसलिए उनकी पांच साल की बेटी लगभग 30 किलोमीटर दूर लाहौल-स्पीति जिले के मुख्यालय काजा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती है। डोलमा (30) ने मुस्कुराने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा  “मेरी नौकरी चली गई और कृषि में घाटा हुआ  हम इस वर्ष अपनी बेटी की स्कूल फीस भी बड़ी मुश्किल से भर पाए।”

             वह अकेली ऐसी महिला नहीं है जिसने अपनी नौकरी खो दी है। संविदा पर काम करने वाले उनके जैसे कई अन्य लोग अनिश्चितता से जूझ रहे हैं और उन्होंने सरकार से उन्हें स्थायी नौकरी देने की मांग की है। उनका कहना है कि अब खेती करना फायदे का सौदा नहीं रहा। ताशीगांग में पानी की कमी के कारण खेती करना मुश्किल हो गया है। ताशीगांग का नाम 2019 से दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र के रूप में रिकॉर्ड बुक में दर्ज है।

             ताशीगांग स्पीति घाटी का हिस्सा है  यहां बहुत कम या बिलकुल भी वर्षा नहीं होती । लोग पानी के लिए ग्लेशियरों और बर्फबारी पर निर्भर हैं। हालांकि  ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं  और पिछले कुछ सालों में बर्फबारी कम हो रही है  जिसे विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन का सीधा परिणाम मानते हैं। भारत-चीन सीमा के पास स्थित स्पीति घाटी मंडी लोकसभा सीट का हिस्सा है  जो हिमाचल प्रदेश के चार संसदीय क्षेत्रों में से एक है और भारत में दूसरा सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। ताशीगांग और गेटे के 62 मतदाताओं के लिए ताशीगांग स्थित मतदान केंद्र को आदर्श मतदान केंद्र बनाया गया है।

             टकपा के बेटे पीडब्ल्यूडी की सड़क निर्माण टीम में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि नियमित नौकरी से उन्हें साल भर नियमित आय प्राप्त होगी।

             टकपा ने कहा कि उनकी नौकरियों को नियमित करने की मांग अनसुनी होने के कारण ताशीगांग के परिवारों ने लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

             हालांकि  कुछ राजनेता आये और कहा कि वे तभी मदद कर सकते हैं जब गांव के निवासी एक जून को होने वाले चुनावों में मतदान करें। कुंचोक चोडेन (23) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया  “सभी का कहना है कि अगर वे जीतेंगे तो हमें पानी और स्थायी नौकरी देंगे। हमारे पास क्या विकल्प हैं  हम सभी ने इस उम्मीद के साथ मतदान करने का फैसला किया है कि सिंचाई के लिए पानी और रोजगार की हमारी मांगें पूरी होंगी।” स्थानीय लोग घरेलू और कृषि जरूरतों के लिए पानी की आपूर्ति के लिए झरनों पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि बर्फबारी कम और देर से हो रही है  इसलिए झरनों का पर्याप्त रूप से पुनर्भरण नहीं हो पा रहा है। ताशीगांग के 60 वर्षीय तंजिन तुम्दोन जैसे लोगों ने एक होमस्टे भी खोला है  लेकिन सड़क की कमी के कारण गांव में शायद ही कोई पर्यटक रात भर रुकता हो।  ऐसे में देखना है कि क्या चुनाव वास्तव में उनके लिए चीजें बदल देंगे  गांववालों को निश्चित रूप से ऐसी उम्मीद है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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