अमित शाह ने चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई-समन ऐप लॉन्च किया

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई-समन ऐप लॉन्च किए। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया और केंद्रीय गृह सचिव सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि आज यहां मौजूद हर व्यक्ति ने 21वीं सदी के सबसे बड़े सुधार के क्रियान्वयन को देखा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाए गए तीन नए कानून – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) में भारतीयता की खुशबू और न्याय की हमारी भावना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को न्याय देना संविधान की जिम्मेदारी है और हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली संविधान की इस भावना को वास्तविकता में लाने का माध्यम है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 150 साल पहले बने कानून आज प्रासंगिक नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि 1860 के भारत और आज के भारत के उद्देश्यों, उस समय के शासकों के हितों और आज के हमारे संविधान के उद्देश्यों में बहुत अंतर है, लेकिन क्रियान्वयन की मशीनरी वही है। उन्होंने कहा कि वर्षों तक लोगों को न्याय नहीं मिला, बल्कि सिर्फ सुनवाई की नई तारीखें देने के लिए न्याय व्यवस्था को दोषी ठहराया जाता रहा। शाह ने कहा कि धीरे-धीरे हमारी व्यवस्थाओं पर लोगों का भरोसा खत्म होता जा रहा था। इसीलिए मोदी सरकार ने आईपीसी की जगह बीएनएस, सीआरपीसी की जगह बीएनएसएस और एविडेंस एक्ट की जगह बीएसए लागू करने का काम किया है। 

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से पंच प्राण की बात कही थी, जिसमें से एक गुलामी की सभी निशानियों को खत्म करना भी था। उन्होंने कहा कि बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए भारतीय संसद में जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा और भारत की जनता के लिए बनाए गए कानून हैं। श्री शाह ने कहा कि नए कानूनों में सजा से ज्यादा न्याय को प्राथमिकता दी गई है और इनका उद्देश्य लोगों को न्याय दिलाना है, इसीलिए ये दंड संहिता नहीं बल्कि ‘न्याय संहिता’ हैं। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इन कानूनों के पूर्ण रूप से लागू होने के बाद भारत में पूरी दुनिया में सबसे आधुनिक और तकनीक से युक्त आपराधिक न्याय प्रणाली होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए गृह मंत्रालय ने विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण और कौशल विकास की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के बनने से पहले ही फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लिया गया था और आज देश के आठ राज्यों में फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी काम कर रही हैं और फॉरेंसिक विशेषज्ञ उपलब्ध होने लगे हैं। 

उन्होंने कहा कि आठ और राज्यों में फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी खोली जाएंगी, जिससे सालाना 36 हजार फॉरेंसिक विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे। अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों में सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक टीम के अनिवार्य दौरे का प्रावधान है और तकनीकी साक्ष्यों से भी दोषसिद्धि के प्रमाण में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इन मामलों में अभियोजन निदेशक की व्यवस्था की गई है जो अभियोजन की पूरी प्रक्रिया की निरंतर निगरानी करेंगे। उन्होंने कहा कि जिला और तहसील स्तर तक अभियोजन निदेशकों की पूरी चेन तैयार कर ली गई है और उनकी शक्तियां भी तय कर दी गई हैं। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इसके पूर्ण क्रियान्वयन के लिए हमारे पूरे सिस्टम की तकनीकी क्षमता को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि आज ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई-समन ऐप लॉन्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ई-साक्ष्य के तहत सभी वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी और गवाही ई-एविडेंस सर्वर पर सेव होगी, जो तुरंत अदालतों में भी उपलब्ध होगी। ई-समन के तहत अदालत से पुलिस थाने और जिसे समन भेजना है, उसे भी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जाएगा। न्याय सेतु डैशबोर्ड पर पुलिस, मेडिकल, फोरेंसिक, अभियोजन और जेल एक साथ जुड़े हुए हैं, जिससे पुलिस को जांच से जुड़ी सभी जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएगी। 

न्याय श्रुति के जरिए अदालत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाहों की सुनवाई कर सकेगी। इससे समय और पैसे की बचत होगी और मामलों का निपटारा भी तेजी से होगा। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने इन तीनों नए कानूनों के सुचारू क्रियान्वयन के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने कहा कि सीसीटीएनएस से लेकर एसएचओ की ट्रेनिंग और एफएसएल के एकीकरण तक काफी काम किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पूरी व्यवस्था का मुख्य आधार तकनीक को बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अकेले चंडीगढ़ में 22 आईटी विशेषज्ञ और 125 डेटा विश्लेषक रखे गए हैं। 107 नए कंप्यूटर, स्पीकर और दो वेब कैमरे लगाए गए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नशे के खिलाफ हमारा अभियान सिर्फ सरकारी अभियान नहीं है, बल्कि यह हमारी नई पीढ़ी को नशे की लत से बाहर निकालने का अभियान है। उन्होंने कहा कि नशे की गिरफ्त में फंसे लोगों और उनके परिवारों के कलंक को दूर करके हमें इस बीमारी का इलाज करना चाहिए और इसके बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि इन तीन नए कानूनों के जरिए भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली 21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार देख रही है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में तकनीक को इस तरह शामिल किया गया है कि यह अगले 50 साल की जरूरतों को पूरा करेगी। श्री शाह ने कहा कि हमारे संविधान की भावना के अनुरूप नागरिक-केंद्रित कानून बनाए गए हैं और इनके पूर्ण क्रियान्वयन के बाद तीन वर्ष के भीतर सर्वोच्च न्यायालय तक निर्णय पहुंचाना संभव होगा। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन कानूनों के बारे में जागरूकता लाने की जितनी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय, राज्य सरकारों या न्यायाधीशों की है, उतनी ही जिम्मेदारी नागरिकों की भी है। गृह मंत्री ने चंडीगढ़ के लोगों से अनुरोध किया कि वे इन कानूनों के बारे में फैलाई जा रही भ्रांतियों पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय या चंडीगढ़ प्रशासन से आधिकारिक स्पष्टीकरण मांगें। उन्होंने सभी से अफवाहों से दूर रहने और इन कानूनों के क्रियान्वयन में सक्रिय और रचनात्मक योगदान देने की अपील की। 

https://twitter.com/AmitShah/status/1820122622388244718/photo/1
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