आईआईएफएम: कलाकारों और फिल्मकारों ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर चर्चा की

मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में डिजिटल माध्यम से आयोजित 11वें भारतीय फिल्म महोत्सव में एक परिचर्चा में भाग लेते हुए अनेक भारतीय फिल्मकारों और कलाकारों ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपने अनुभव साझा किए और इस बारे में जागरुकता पैदा करने का प्रयास किया।

तीस अक्टूबर तक चलने वाले इस महोत्सव के दौरान 17 भाषाओं की 60 फिल्में दिखाई जाएंगी।

इस दौरान भारतीय फिल्म महोत्सव मेलबर्न (आईआईएफएम) ने अपने इस संस्करण के लिये ऑस्ट्रेलिया मेंटल हेल्थ फाउंडेशन के साथ साझेदारी की भी घोषणा की।

डिजिटल परिचर्चा में अभिनेत्री रितुपर्णा सेना गुप्ता, अभिनेता अंशुमान झा, फिल्मकारों वेदांती दानी, तुषार त्यागी, अनीक चौधरी, तराना और दृष्या तथा आईआईएफएम के निदेशक मीतू भौमिक लांगे ने शिकरत की।

ऑस्ट्रेलिया मेंटल हेल्थ फाउंडेशन के अध्यक्ष वासन श्रीनिवासन ने कहा, ‘इस कार्यक्रम से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में फिल्मकारों, पटकथा लेखकों, दर्शकों, निर्देशकों और निर्माताओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य और इसकी देखभाल को लेकर जागरुकता बढ़ेगी।’

लांगे ने कहा कि इस साल महोत्सव पूरी तरह से डिजिटल होगा। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य और एलजीबीटीक्यू समेत कुछ गंभीर और संवेदनशील मुद्दों पर आधारित फिल्में दिखाई जाएंगी।

फिल्मकार तुषार त्यागी की फिल्म ‘सेविंग चिंटू’ भी महोत्सव में दिखाई जाएगी। त्यागी ने कहा कि यह विषय उनके लिये इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने भी अपने जीवन में इसका सामना किया है।

उन्होंने कहा, ‘मेरे साथ जब यह सब कुछ शुरु हुआ तब मैं 19 का था और मैं यह भी नहीं जानता था कि मुझे मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कतें हैं…मुझे याद है कि जब मैं उन दर्दनाक हालात से गुजरा रहा था तो मेरी जीने की इच्छा खत्म हो गई थी। उस समय में अमेरिका में फिल्मों से संबंधित पढ़ाई कर रहा था। ‘

त्यागी ने कहा कि बाद में उन्हें पता चला कि वह ऑब्सेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर (ओसीडी) के शिकार हैं, जिसके बाद इलाज के जरिये उन्होंने इस समस्या से पार पाया।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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