इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व न्यायमूर्ति से साइबर ठगी करने के आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की

प्रयागराज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साइबर ठगी के माध्यम से पूर्व न्यायमूर्ति के बैंक खाते से पांच लाख रुपये निकालने के आरोपियों की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने याचिकाकर्ता नीरज मंडल, तपन मंडल, शूबो शाह और तौसीफ जमां की जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

अदालत ने कहा कि बैंक खाताधारकों का पैसा सुरक्षित रहना चाहिए क्योंकि ग्राहकों द्वारा बैंक में जमा पैसा ‘वैध धन’ होता है जिससे देश की आर्थिक स्थिति सुधरती है। अदालत ने कहा कि, वहीं देश में ऐसे लोग भी हैं जो करोड़ों रुपये बैंक में जमा ना करके घरों में तहखानों में छिपा कर रखते हैं जिससे ना तो बैंक को कोई लाभ होता है, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति भी खोखली होती है।

अदालत ने कहा कि अगर किसी भी प्रकार से साइबर अपराधियों द्वारा ग्राहक के बैंक खाते को निशाना बनाकर पैसा निकाला जाता है तो इसके लिए बैंक को ही इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश पूनम श्रीवास्तव ने आठ दिसंबर, 2020 को प्रयागराज के कैंट थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। प्राथमिकी के मुताबिक, चार दिसंबर, 2020 को श्रीवास्तव के मोबाइल पर एक व्यक्ति ने अपना नाम एसएन मिश्रा बताते हुए एक दूसरे नंबर पर पासबुक, आधार और पैन का विवरण मांगा। ये विवरण उपलब्ध कराने पर पूर्व न्यायमूर्ति के बैंक खाते से पांच लाख रुपये का गबन कर लिया गया।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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