नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 1994 के इसरो जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नम्बी नारायणन को कथित रूप से फंसाने के आरोप में केरल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
अधिकारियों ने सोमवार ने इस आशय की जानकारी दी।
सीबीआई ने प्राथमिकी में नामजद आरोपियों की पहचान और उनके विरूद्ध लगे आरोपों पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है किंतु सूत्रों ने बताया कि केरल पुलिस के कई पूर्व अधिकारियों को नामजद किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डी. के. जैन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस द्वारा नारायणन को फर्जी आरोप में फंसाने के आरोपों की आगे जांच करने का आदेश 15 अप्रैल को सीबीआई को दिया।
न्यायालय ने यह भी भी आदेश दिया कि समिति की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की जाएगी।
सीबीआई के प्रवक्ता आर. सी. जोशी ने कहा, ‘‘रिपोर्ट के आधार पर उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई ने इस मामले में कानून के आधार पर आगे की कार्रवाई करने को कहा है।’’
उन्होंने कहा कि इसके आधार पर सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है।
सीबीआई की जांच के बाद इसरो के लिक्वीड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) पर काम कर रहे नारायणन (79) को जासूसी के आरोप से बरी कर दिया गया। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से केरल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया है।
पाकिस्तान को कथित रूप से बेचने के लिए इसरो के रॉकेट इंजन की गोपनीय ड्राइंग कथित रूप से हासिल करने के आरोप में केरल पुलिस ने तिरुवनंतपुरम से मालदीव की नागरिक रशीदा की गिरफ्तारी के बाद अक्टूबर 1994 में दो प्राथमिकी दर्ज की थीं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में क्रायोजेनिक परियोजना के तत्कालीन निदेशक नारायणन, इसरो के उपनिदेशक डी. शशिकुमारन और मालदीव की नागरिक रशीदा की दोस्त फौजिया हसन को गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि आरोप झूठे हैं।
केरल में कांग्रेस सरकार के दौरान हुई इन गिरफ्तारियों ने राजनीतिक रंग पकड़ लिया और पार्टी के एक धड़े ने पुलिस कार्रवाई के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री के. करुणाकरन को जिम्मेदार बताया जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी जिसमें उन्हें निर्दोष पाया गया।
जोशी ने कहा, ‘‘जासूसी मामले में सीबीआई ने अंतिम रिपोर्ट एर्णाकुलम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंप दी है, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है। रिपोर्ट सौंपते हुए, जासूसी से जुड़े आरोप फर्जी पाये गए।’’
क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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