), लियोनिड उल्का बौछार (एलएमएस), भारतीय मध्य वायुमंडल कार्यक्रम (आईएमएपी), मानसून प्रयोग (मोनेक्स), मध्य वायुमंडल गतिशीलता (एमआईडीएएस), सूर्यग्रहण-2010, आदि जैसे अभियानों का संचालन ध्वनि रॉकेट का उपयोग करके किया गया है।
राकेटों की आरएसआर श्रृंखला इसरो के भारी और अधिक जटिल प्रमोचक राकेटों के अग्रदूत रहे हैं, जिनका आज भी वायुमंडलीय और मौसम संबंधी अध्ययनों के लिए निरंतर उपयोग किया जा रहा है। वे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो हर भारतीय की आशा और गौरव बन गया है। लगातार 200वीं सफल उड़ान पिछले वर्षों में प्रदर्शित बेजोड़ विश्वसनीयता के प्रति भारतीय रॉकेट वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
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