ईरान में फांसी देने के मामले 30 प्रतिशत बढ़े: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने एक नई रिपोर्ट में कहा है कि ईरान ‘‘चिंताजनक दर से’’ लोगों की फांसी दे रहा है और उसने इस साल के शुरुआती सात महीनों में कम से कम 419 लोगों को फांसी दी, जो 2022 की इसी अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

             गुतारेस ने ईरान में मानवाधिकार संबंधी स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की रिपोर्ट में कहा कि कथित रूप से ढीला हिजाब पहनने के कारण ईरानी नैतिकता पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई 22 वर्षीय महसा अमीनी की सितंबर 2022 में पुलिस हिरासत में मौत के बाद हुए देशव्यापी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए सात लोगों को फांसी दी गई।

             उन्होंने कहा कि इन सातों मामलों में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय को मिली सूचना ‘‘लगातार इस बात की ओर इशारा करती है कि न्यायिक कार्यवाही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई की आवश्यकता को पूरा नहीं करती।’’

             गुतारेस ने कहा, ‘‘पर्याप्त और समय पर कानूनी प्रतिनिधित्व तक पहुंच को अक्सर अस्वीकार कर दिया गया, जबरन दोष स्वीकार किए जाने की रिपोर्ट मिली हैं और कबूलनामे के लिए लोगों को प्रताड़ित किए जाने की भी आशंका है।’’ उन्होंने कहा कि सात महीने की अवधि में कम से कम 419 लोगों को फांसी दी गई, जो 2022 की इसी अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा कि इनमें से 239 लोगों को नशीली दवाओं संबंधी अपराधों के कारण फांसी दी गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 98 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

             गुतारेस ने ‘‘विशेष रूप से हालिया राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की पारदर्शी और स्वतंत्र जांच के अभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की।’’ उन्होंने कहा कि वकीलों को लगातार निशाना बनाने से अतीत में हुए और मौजूदा उल्लंघन के लिए जवाबदेही तय करने में भी बाधा आ रही है।

             महासचिव ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार एजेंसी द्वारा प्राप्त जानकारी का हवाला दिया कि 17 सितंबर, 2022 और आठ फरवरी, 2023 के बीच विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए अनुमानित रूप से 20,000 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘यह विशेष रूप से चिंता का विषय है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से संभवत: अधिकतर बच्चे हैं, क्योंकि ‘इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स’ के डिप्टी कमांडर के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों की औसत आयु 15 वर्ष होने का अनुमान है।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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