नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कुछ समुदायों से संबंधित 30 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से कथित रूप से हटाए जाने के बारे में टिप्पणी से जुड़े मानहानि के एक मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने अधीनस्थ अदालत के समक्ष मानहानि की कार्यवाही को चुनौती देने वाली आप नेताओं की याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी 2020 को अधीनस्थ अदालत के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। आज उसने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया और पक्षों को तीन अक्टूबर को अधीनस्थ अदालत के समक्ष उपस्थित होने को कहा। केजरीवाल और तीन अन्य – आम आदमी पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार गुप्ता और पार्टी नेता मनोज कुमार और आतिशी – ने सत्र अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसने भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर शिकायत में उन्हें आरोपी के रूप में तलब करने के मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अधीनस्थ अदालत के समन आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। आप नेताओं ने मजिस्ट्रेट अदालत के 15 मार्च 2019 और सत्र अदालत के 28 जनवरी 2020 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था। भाजपा की दिल्ली इकाई की ओर से मानहानि की शिकायत दायर करने वाले बब्बर ने मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाने के लिए भाजपा को दोषी ठहराकर उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए आप नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया था। बब्बर ने दावा किया था कि आप नेताओं ने दिसंबर 2018 में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान आरोप लगाया था कि भाजपा के निर्देश पर निर्वाचन आयोग ने बनिया पूर्वांचली और मुस्लिम समुदाय के 30 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common