एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक विवाद : केरल के मंत्री ने भाजपा की आलोचना की

तिरुवनंतपुरम, केरल के मंत्री एम बी राजेश ने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार देश के सभी संस्थानों को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश कर रही है और ऐसे प्रयासों के खिलाफ सामूहिक लड़ाई जारी रखने की जरूरत है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता राजेश ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार ने पिछले 10 वर्षों में इसी तरह की चीजें की हैं और  साथ ही यह भी दावा किया है कि इन कार्यों के पीछे उसका कोई एजेंडा नहीं था।  केरल में स्थानीय स्वशासन विभाग (एलएसजीडी) के मंत्री ने आरोप लगाया कि एनसीईआरटी के मौजूदा कदम से यह साबित हो गया है कि लोकसभा में भाजपा की सीटों की संख्या में कमी आने और स्वतंत्र रूप से शासन करने के लिए बहुमत खोने के बावजूद  संघ परिवार अपने चरम सांप्रदायिक एजेंडे से पीछे हटने को तैयार नहीं है।

एम बी राजेश ने यहां संवाददाताओं से कहा  ‘‘यह सभी के लिए एक चेतावनी है। इसलिए  हमें संघ परिवार और पाठ्यपुस्तकों और सरकार की अन्य सभी प्रणालियों को सांप्रदायिक बनाने के उनके प्रयासों के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी होगी। ’’

इससे एक दिन पहले  एनसीईआरटी के निदेशक ने स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भों को इसलिए संशोधित किया गया  क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना ‘‘हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक पैदा कर सकता है’’। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी)  के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने शनिवार को कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा है और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।

एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा  ‘‘हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए  हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं  न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति।’’

सकलानी की टिप्पणियाँ ऐसे समय आई हैं  जब नयी पाठ्यपुस्तकें कई संदर्भ हटाए जाने और बदलावों के साथ बाजार में आई हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं है  लेकिन इसे ‘‘तीन गुंबद वाली संरचना’’ के रूप में संदर्भित किया गया है। इसमें अयोध्या खंड को चार से घटाकर दो पृष्ठ का कर दिया गया है और पिछले संस्करण से विवरण हटा दिया गया है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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