कर्नाटक सरकार भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने की नीति पर कर रही है विचार

बेंगलुरु,  कर्नाटक के लघु सिंचाई और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एन.एस. बोसराजू ने कहा कि राज्य सरकार पूरे प्रदेश में भूजल पुनर्भरण को बढ़ाने के उद्देश्य से एक नई नीति तैयार करने पर विचार कर रही है।यह घोषणा कर्नाटक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अकादमी द्वारा जल सुरक्षा के लिए सतत भूजल प्रबंधन पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान की गई।

                        इस कार्यक्रम में बोसराजू ने भूजल स्तर में गिरावट की ओर इशारा किया और इस प्रवृत्ति के लिए बढ़ते शहरीकरण और वनों की कटाई को जिम्मेदार ठहराया।

                        औद्योगिक  कृषि और घरेलू उद्देश्यों के लिए भूजल पर ऐतिहासिक निर्भरता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण संसाधन में गिरावट से भावी पीढ़ियों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

                        मंत्री बोसराजू के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में उन्हें उद्धृत करते हुए कहा गया  “भूजल का दोहन बढ़ता जा रहा है  जबकि इसे पुनर्भरण करने के प्रयास कम होते जा रहे हैं। शहरी विस्तार के कारण प्राकृतिक पुनर्भरण प्रक्रिया बाधित हो रही है। इन प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है  अन्यथा हमारे उत्तराधिकारियों को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।”

                        वर्तमान सूखे ने जल संरक्षण की आवश्यकता को उजागर किया है ऐसे में भूजल के अधिक दोहन को रोकने के लिए  मंत्री ने वर्षा जल संचयन प्रणालियों को लागू करने तथा भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने टिकाऊ पद्धतियों को अपनाने के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया और कहा कि भूजल निदेशालय ऐसी नीति पर सक्रियता से विचार कर रहा है जो ऐसी पहलों के लिए प्रोत्साहन प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी इस संबंध में रुचि दिखाई है।  

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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