केंद्र ने राज्यों से एमपॉक्स के संदिग्ध मामलों में स्क्रीनिंग और जांच कराने को कहा

नयी दिल्ली, केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी कि सामुदायिक स्तर पर एमपॉक्स के सभी संदिग्ध मामलों में स्क्रीनिंग और जांच कराई जाए तथा संदिग्ध एवं पुष्ट दोनों मामलों में मरीजों के लिए अस्पतालों में पृथकवास सुविधाएं चिह्नित की जाएं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में उनसे कहा कि लोगों के बीच किसी भी तरह के अनावश्यक डर को फैलने से रोका जाए। सतर्कता बरतने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा ‘‘भारत में मौजूदा प्रकोप में एमपॉक्स का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है और संदिग्ध मामलों में एक भी नमूना ‘पॉजिटिव’ नहीं आया है।’’ चंद्रा ने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है। उन्होंने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि विशेष रूप से स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा की जाए अस्पतालों में पृथकवास सुविधाओं की पहचान की जाए और ऐसी सुविधाओं पर आवश्यक रसद एवं प्रशिक्षित मानव संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्य और जिला स्तर पर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत निगरानी इकाइयों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी प्रमुख हितधारकों से सतर्क रहने का भी आह्वान किया ताकि वे संदिग्ध संभावित पुष्ट मामलों संपर्क में आये व्यक्तियों का पता लगाने और अन्य निगरानी गतिविधियों की परिभाषाओं के बारे में समय रहते सक्रिय हो सकें। पत्र में चंद्रा ने सभी राज्यों से लोगों को एमपॉक्स रोग इसके फैलने के तरीके समय पर रिपोर्ट करने और निवारक उपाय करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने के अलावा संदिग्ध और पुष्ट दोनों मामलों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों और पृथकवास सुविधाओं की समीक्षा करने को कहा। उन्होंने कहा वर्तमान प्रकोप में भारत में एमपॉक्स का कोई नया मामला सामने नहीं आया है तथा संदिग्ध मामलों में से किसी भी नमूने की जांच में कोई भी पॉजिटिव नहीं आया है।’’ उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय उभरती स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है। रविवार को मंत्रालय ने कहा था कि हाल ही में एमपॉक्स संक्रमण वाले देश से यात्रा करने वाले एक व्यक्ति की पहचान बीमारी के संदिग्ध मामले के रूप में की गई है और उसके नमूने जांच के लिए लिए गए हैं। उसने कहा कि व्यक्ति को एक निर्दिष्ट अस्पताल में पृथक रखा गया है और चिंता की कोई बात नहीं है। पत्र में चंद्रा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 अगस्त को एमपॉक्स के मौजूदा प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया है। जैसा कि डब्ल्यूएचओ ने रेखांकित किया है यह निर्णय पिछले छह महीनों में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एमपॉक्स के मामलों की लगातार बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए लिया गया था। बुरुंडी केन्या रवांडा और युगांडा जैसे नये पूर्वी अफ्रीकी देशों से एमपॉक्स के मामलों के प्रसार की सूचना मिली है। चंद्रा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अपने नवीनतम स्थितिजन्य अपडेट में इस बात पर प्रकाश डाला है कि मामलों की क्लीनिकल तस्वीर काफी हद तक एक जैसी रही है। चंद्रा ने प्रमुख विशेषताओं को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि अधिकांश मामले युवा पुरुषों के हैं जिनकी औसत आयु 34 वर्ष (18-44 वर्ष) है। चंद्रा ने पत्र में कहा कि वैश्विक स्तर पर संक्रमण के जिन तरीकों की जानकारी सामने आयी है उनमें यौन संपर्क सबसे आम है। उसके बाद व्यक्ति-से-व्यक्ति गैर-यौन संपर्क और ऐसे मामलों में जिसमें कम से कम एक लक्षण की जानकारी सामने आयी है सबसे आम लक्षण चकत्ते हैं उसके बाद बुखार है। उन्होंने कहा कि आईडीएसपी के तहत रोग निगरानी नेटवर्क ऐसे मामलों के किसी भी ‘क्लस्टरिंग’ की निगरानी करना जारी रखता है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि प्रवेश बिंदुओं (हवाई अड्डों) पर स्वास्थ्य इकाइयों को किसी भी संदिग्ध मामले का पता लगाने के लिए आने वाले यात्रियों की स्वास्थ्य जांच को मजबूत करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तहत प्रयोगशाला नेटवर्क को भी मजबूत किया गया है। पत्र में कहा गया है इसके अलावा बीमारी की महामारी विज्ञान को ध्यान में रखते हुए राज्य एड्स नियंत्रण समितियों से अनुरोध किया जाता है कि वे संदिग्ध मामलों को पहचानने और मामलों की समय पर जानकारी को बढ़ावा देने के लिए इस मुद्दे पर सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए सतर्क रहें। चंद्रा ने देश में एमपॉक्स के कारण किसी भी मामले या मृत्यु के जोखिम को रोकने/न्यूनतम करने के लिए आवश्यक कुछ प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने एमपॉक्स के प्रबंधन के लिए मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के व्यापक प्रचार-प्रसार तथा एनसीडीसी द्वारा जारी रोग पर अद्यतन ‘सीडी-अलर्ट’ के प्रचार-प्रसार और कार्रवाई पर बल दिया।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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