केंद्र ‘राजकोषीय संघीय आतंकवाद’ में लिप्त है: टीएमसी

कोलकाता, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने रविवार को केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह ”राजकोषीय संघीय आतंकवाद” में लिप्त है।  टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इन दावों को खारिज कर दिया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्रीय धन के लिए उपयोग प्रमाण पत्र प्रदान नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र राज्य को निशाना बना रहा है, क्योंकि यहां तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। उन्होंने आरोप लगाया, ”यह राजकोषीय संघीय आतंकवाद है…यह और कुछ नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल को निशाना बनाने का भाजपा का एक और प्रयास है, क्योंकि वे (भाजपा) राजनीतिक रूप से टीएमसी से मुकाबला करने में विफल हो रहे हैं।”

ओ ब्रायन ने कहा, “सीएजी रिपोर्ट के बयानों को विपक्ष जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है ताकि दुर्भावनापूर्ण प्रचार किया जा सके। 

उन्होंने कहा कि मनरेगा से संबंधित दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि श्रमिकों को काम पूरा होने के 15 दिन के अंदर भुगतान किया जाना चाहिए, लेकिन चूंकि ‘‘भाजपा राजनीतिक रूप से ममता बनर्जी को नहीं हरा सकती , इसलिए वह अब केवल गुस्से में पश्चिम बंगाल के गरीब लोगों पर हमला कर रही है।”

एक अन्य वरिष्ठ नेता काकोली घोष दस्तीदार ने दावा किया कि मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्यों में हजारों करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किए गए हैं। घोष दस्तीदार ने कहा, “वे सोचते हैं कि अगर वे लोगों का पैसा रोकेंगे, तो लोग पाला बदल लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि ममता बनर्जी अपने वादे पर कायम हैं। इसीलिए 21 लाख मनरेगा मजदूरों को 21 फरवरी तक उनका हक मिल जाएगा।” उन्होंने कहा कि मई 2022 से टीएमसी मेहनताना जारी करने को लेकर केंद्र से अनुरोध कर रही है, लेकिन इनका कोई फायदा नहीं हुआ।

टीएमसी के एक अन्य वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने दावा किया कि 2011 में राज्य में टीएमसी के सत्ता में आने के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराने में कोई कमी या कोताही नहीं हुई है।

उन्होंने कहा, “हम 2002-03 से 2010-11 की अवधि की जिम्मेदारी नहीं ले सकते, जब राज्य में वाम मोर्चे की सरकार थी।” सरकारी धन के उपयोग को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर भाजपा-टीएमसी में जारी वाकयुद्ध के बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि यह रिपोर्ट “झूठ से भरी” है। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखा था।

भाजपा ने सीएजी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए दावा किया था कि तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य में लगभग दो लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।

केंद्र से पश्चिम बंगाल का “बकाया” जारी करने की मांग को लेकर 48 घंटे का धरना देने वाली बनर्जी ने घोषणा की है कि उनकी सरकार 21 फरवरी तक राज्य के 21 लाख मनरेगा श्रमिकों के बैंक खातों में सीधे धन अंतरित करेगी। पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता सजल घोष ने सवाल किया कि राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा कथित तौर पर बकाया जारी नहीं करने पर अदालत का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार को सीएजी की चिंताओं का जवाब देना चाहिए। चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार ने इस पर कोई श्वेत पत्र जारी नहीं किया है।  राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदू अधिकारी ने आरोप लगाया कि टीएमसी शासित पंचायतों ने मनरेगा खर्च के संबंध में झूठे बिल तैयार किए हैं।

उन्होंने कहा, “टीएमसी गलत तरीके से कमाए गए पैसे का चुनाव में इस्तेमाल करने के लिए मनरेगा मुद्दे को उछाल रही है।” अधिकारी ने कहा, यदि कलकत्ता उच्च न्यायालय एक समिति गठित करता है तो इस घोटाले का पर्दाफाश हो जाएगा।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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