कोटा में हवाई अड्डा विकास का मुद्दा चुनावी मौसम में गरमाया

कोटा, राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रचार के जोर पकड़ने के साथ कोटा में एक हवाई अड्डे के विकास की मांग गरमाती दिख रही है। लेकिन इस विकास परियोजना के साकार नहीं होने के लिए कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं।

             कोटा में एक छोटा हवाई अड्डा है, लेकिन नियमित उड़ान सेवाओं के अभाव में केवल वीआईपी या विशेष विमान ही वहां उतरते हैं। यह मुद्दा विशेष रूप से कोटा उत्तर सीट पर प्रचार अभियान में जगह बना चुका है। कोटा में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसेमंद शांति धारीवाल का मुकाबला वसुंधरा राजे के वफादार और भाजपा नेता प्रह्लाद गुंजल से है।

             वाणिज्यिक उड़ानों की सेवा प्रदान करने वाले एक नियमित हवाई अड्डे की यहां लंबे समय से मांग होती रही है और यह मुद्दा चुनाव अभियानों में अनिवार्य रूप से जगह बनाता है। यह 2018 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एक चुनावी मुद्दा था।

             इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा जेईई और एनईईटी की तैयारी के लिए सालाना दो लाख से अधिक छात्र कोटा आते हैं। इनमें से कई दूर-दराज के इलाकों से यात्रा करते हैं और यहां नियमित हवाई अड्डे के अभाव में उन्हें नयी दिल्ली, जयपुर या उदयपुर के रास्ते कोटा आना पड़ता है।

             यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहीं आंध्र प्रदेश के कुरनूल की छात्रा सरीना संदीप ने कहा, ‘‘देशभर से छात्र कोटा आते हैं। कुछ बहुत दूर के राज्यों से आते हैं और जहां से यात्रा करने में बहुत समय लगता है। यह सुविधा (हवाई अड्डा) कोटा में होनी चाहिए।’’

            इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी कर रहे एक छात्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “अगर हमें घर जाना है, तो हम जल्दी जा सकते हैं और बिना समय बर्बाद किए वापस आ सकते हैं। यहां छुट्टियां भी बहुत कम मिलती हैं। अगर एक नियमित हवाई अड्डा होगा, तो हमारा समय बचेगा।”

             मध्य प्रदेश के शहडोल के एक अभिभावक राजेंद्र सिंह, जिनका बच्चा यहां परीक्षा की तैयारी कर रहा है, ने कहा कि ट्रेन कनेक्टिविटी अच्छी है, लेकिन कई बार केवल एक दिन का समय होता है जिसमें बच्चे से मिलकर वापस लौटना होता है और ऐसी स्थिति में अगर विमान सेवा हो तो बहुत समय बच सकता है।

              पटना निवासी एक अन्य छात्र के अभिभावक प्रवीण कुमार सिंह ने भी कहा कि ट्रेन में सफर के कारण बहुत समय नष्ट होता है, कोटा से विमान सेवा की सुविधा होनी ही चाहिए।

             इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर कोटा उत्तर से भाजपा उम्मीदवार गुंजल ने दावा किया कि मंजूरी के बाद राज्य को जो जमीन देनी थी वह नहीं दी गई है।

             गुंजल ने आरोप लगाते हुए कहा, “यह राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी थी। जहां भी हवाई अड्डा बनते हैं, राज्य सरकार जमीन उपलब्ध कराती है। राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभायी। वे कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है।’’

             कोटा उत्तर के मौजूदा विधायक और अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री धारीवाल ने इस मुद्दे पर भाजपा की आलोचना की और परियोजना को रोकने के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया। गहलोत ने इसके पहले सितंबर में कोटा में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के निर्माण में देरी के लिए केंद्र को दोषी ठहराया था।

             उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और स्थानीय सांसद ओम बिरला पर इस डर से हवाई अड्डे के विकास के लिए सकारात्मक भूमिका नहीं निभाने का भी आरोप लगाया था कि इसका श्रेय राज्य की कांग्रेस सरकार को मिल जाएगा।

             यह दावा करते हुए कि राज्य सरकार हवाई अड्डे के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है, गहलोत ने कहा था कि शहरी सुधार ट्रस्ट (कोटा) ने 34 हेक्टेयर जमीन भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण को मुफ्त में हस्तांतरित कर दी है।

             उन्होंने आरोप लगाया था कि वन भूमि के ‘डायवर्जन’ के लिए 21.13 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी वन विभाग को जारी कर दी गई, लेकिन इसके बावजूद केंद्र ने परियोजना पर काम नहीं शुरू किया।

             नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पलटवार करते हुए कहा था कि राजस्थान सरकार की ‘अस्थिर प्रतिक्रिया और जमीन सौंपने की धीमी गति’ के कारण कोटा में एक हवाई अड्डे के विकास की प्रक्रिया में देरी हुई है।  यहां कई लोगों का तर्क है कि जब कोटा में हवाई अड्डा बन जाएगा तो कोटा में पर्यटकों की आमद काफी बढ़ जाएगी। बैटरी रिक्शा चालक मनीष कुमार ने कहा कि कोटा में हवाई अड्डे के विकास से कोटा की अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा क्योंकि इससे पर्यटन बढ़ेगा।

             चुनाव से पहले इस मुद्दे ने लोगों के बीच तूल पकड़ लिया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर वार-पलटवार कर रहे हैं, लेकिन दोनों ही दल राज्य में सत्तारूढ़ होने पर हवाई अड्डे के विकास का वादा पूरा करने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह कि नई सरकार के गठन के बाद इस परियोजना पर काम शुरू होता है या नहीं। राजस्थान में 200 सदस्यीय विधानसभा के लिए 25 नवंबर को चुनाव होंगे और नतीजे तीन दिसंबर को आएंगे।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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