कोरोना : अदालत ने बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों में लोगों के प्रवेश पर रोक लगायी

कोलकाता, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के प्रसार पर काबू के लिए सोमवार को राज्य भर के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित कर दिया।

पश्चिम बंगाल में अब तक कोरोना वायरस के 3.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं और इस बीमारी के कारण 6,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी आगंतुक को पंडाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अदालत ने आदेश दिया कि छोटे पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे जबकि बड़े पंडालों के लिए यह दूरी 10 मीटर होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि बैरिकेडों पर प्रवेश निषेध के बोर्ड लगे होने चाहिए।

अदालत ने यह भी कहा कि आयोजन समितियों से जुड़े सिर्फ 15 से 25 लोगों को ही पंडालों में प्रवेश करने की अनुमति होगी।

केरल में ओणम के बाद संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी। दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है। लेकिन विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने आशंका जतायी थी कि इस उत्सव में लापरवाही से वायरस का प्रकोप बढ़ सकता है।

पीठ ने यह आदेश सब्यसाची चटर्जी नामक एक व्यक्ति की जनहित याचिका पर दिया।

महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने भीड़ पर नियंत्रण के लिए पश्चिम बंगाल और कोलकाता पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से तैयार योजना को अदालत के समक्ष पेश किया।

पीठ ने आदेश दिया कि योजना में सूचीबद्ध दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।

अदालत ने कोलकाता तथा अन्य स्थानों पर प्रमुख बाजारों और मॉलों में एकत्र होने वाली बड़ी भीड़ तथा सामाजिक सुरक्षा की उपेक्षा पर चिंता जतायी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि महामारी के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार ने सिर्फ कोलकाता में करीब 3,000 सामुदायिक पूजा के लिए अनुमति दी।

अदालत ने कहा कि जब स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को पिछले छह महीनों से शिक्षण संस्थानों में जाने से रोका जा रहा है तो इस साल उत्सव आयोजित करने की अनुमति देना अनुपयुक्त होगा।

पीठ ने कहा कि मार्च, 2020 के बाद से मानव के लिए जीवन सामान्य नहीं रहा है। पीठ ने लोगों को डिजिटल दर्शन करने का सुझाव दिया।

इसके साथ ही पीठ ने पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) और पुलिस आयुक्त को लक्ष्मी पूजा के बाद पांच नवंबर तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

अदालत ने पुलिस को अपने आदेश के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू करने को भी कहा।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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