चिकनगुनिया वायरस के ‘अदृश्य कवच’ का अब पता चल जाने से उसका टीका या इलाज का मार्ग हो सकता है प्रशस्त

नयी दिल्ली, अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि चिकनगुनिया ज्वर के लिए जिम्मेदार वायरस एक कोशिका से दूसरी कोशिका में फैलता है। इस खोज से तेजी से फैलती इस बीमारी का प्रभावी टीका या इलाज विकसित करने में मदद मिल सकती है। ‘नेचर माइक्रोबायोलोजी’ में प्रकाशित इस अध्ययन से लंबे समय से चले आ रहे इस रहस्य के सुलझने की संभावना पैदा हो गयी है कि कैसे यह वायरस रक्त में प्रवाहित एंटीबडीज से बच निकल सकता है। आजकल यह बीमारी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या हो गयी है। इस अध्ययन की मुख्य लेखिका अमेरिका के ‘एल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसीन’ की प्रोफेसर मारग्रेट कीलियान ने कहा, ‘‘ पहले चिकनगुनिया वायरस के फैलने के बारे में सोचा जाता था कि यह एक कोशिका को संक्रमित करता है और उस कोशिका के अंतर अपनी प्रतिकृति बनाता है तथा नयी प्रतियां रक्त में भेजता है एवं इस तरह वह नयी कोशिकाओं को संक्रमित करता है। ’’ कीलियान ने कहा, ‘‘ लेकिन हमने पाया है कि यह वायरस मेजबान कोशिका के ‘साइटोस्केलटन’ को कब्जे में कर लेता है , साइटोस्केलटन एक प्रकार का प्रोटीन है जो कोशिकाओं को सहारा प्रदान करता है और अपना आकार बनाये रखने में सहयोग करता है। उसके बाद यह वायरस संक्रमित कोशिका में लंबे तंतुओं को निर्माण करता है जो असंक्रमित कोशिकाओं से संपर्क साधने में मदद करता है , इसतरह वायरस एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सुरक्षित एवं कुशलता से पहुंच जाता है।’’ अनुसंधानकर्ताओं ने वायरस के कारण बनी इस संरचना को अंतर-कोशिकीय लंबा विस्तार या आईएलई नाम दिया है। इस अध्ययन में कीलियान का सहयोग देने वाले साथी पीकी यिन ने कहा, ‘‘ वायरल के फैलने के इस तरीके में न केवल वाययरस की प्रतियां मेजबान की प्रतिरोधक कार्रवाई से बच सकती है बल्कि इससे बात का भी स्पष्टीकरण मिलता है कि क्यों चिकनगुनिया के लक्षण महीनों या सालों तक बने रह सकते हैं।’’ चिकनगुनिया संक्रमित मच्छरों के काटने से इंसान में फैलता है और ये मच्छर पहले से ही इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को डंक मारने से संक्रमित हो जाते हैं। इस बीमारी में ज्वर के अलावा हड्डियों में लंबे समय तक दर्द रहता है।

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