चीन से एफडीआई प्रस्तावों की मंजूरी को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश की जरूरत: नीति उपाध्यक्ष

नयी दिल्ली, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा है कि भारत को चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को तेजी से मंजूरी देने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश की जरूरत है। इसका कारण यह है ‘मामला-दर-मामला’ समीक्षा की व्यवस्था धीमी है।  बेरी ने कहा कि फिलहाल भारत सुरक्षा उद्देश्य से चीन के एफडीआई प्रस्तावों की जांच करता है। अमेरिका में भी ऐसी व्यवस्था है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा  ‘‘मुझे लगता है कि इस संदर्भ में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए। इसका कारण मामला-दर-मामला आधार पर समीक्षा धीमी है। हम चीन से निवेश प्राप्त करना चाहते हैं  क्योंकि वह बचत के मामले में अधिशेष की स्थिति है। उसके पास अच्छी प्रौद्योगिकी है।’’

             इसी सप्ताह संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का उपयोग करने के लिए चीन से एफडीआई की अनुमति देने की वकालत की गयी है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा  ‘‘लेकिन  सच्चाई यह है कि हमें उनके साथ कूटनीतिक स्तर पर कुछ समस्याएं हैं और इसीलिए हमें सतर्क रहना होगा।’’ देश में वर्तमान में ज्यादातर एफडीआई स्वत: मंजूर मार्ग से आता है। हालांकि  भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से किसी भी क्षेत्र में आने वाले एफडीआई को अनिवार्य रूप से सरकारी मंजूरी की जरूरत होती है।

             भारत में अप्रैल  2000 से मार्च  2024 तक आये कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में केवल 0.37 प्रतिशत हिस्सेदारी (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) चीन की रही और वह इस मामले में 22वें स्थान पर रहा।

             भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देश चीन  बांग्लादेश  पाकिस्तान  भूटान  नेपाल  म्यांमा और अफगानिस्तान हैं। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई  2020 से गतिरोध चल रहा है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि  दोनों पक्ष विवाद वाले कई स्थानों से पीछे हट गए हैं।

             जून  2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है।

             भारत कहता रहा है कि जबतक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी तबतक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। तनाव के बीच भारत ने टिकटॉक  वीचैट और अलीबाबा के यूसी ब्राउजर जैसे 200 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था। इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता बीवाईडी के एक बड़े निवेश प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया था।

             हालांकि  इस साल की शुरुआत में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने जेएसडब्ल्यू समूह के एमजी मोटर इंडिया प्राइवेट लि. में 38 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रस्तावित अधिग्रहण को मंजूरी दे दी थी।   एमजी मोटर इंडिया शंघाई की एसएआईसी मोटर की पूर्ण अनुषंगी कंपनी है

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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