चुनावी बॉण्ड योजना: अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की याचिका सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा न्यायालय

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने उस जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने को लेकर सहमति जताई जिसमें चुनावी बॉण्ड योजना की अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध किया गया है। गैर सरकारी संगठनों ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की जनहित याचिका में राजनीतिक दलों कंपनियों और जांच एजेंसियों के बीच स्पष्ट लेन-देन का आरोप लगाया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दोनों एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण की इन दलीलों का संज्ञान लिया कि पिछले कुछ महीनों में वह उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री से कई बार अनुरोध कर चुके हैं इसके बावजूद याचिकाएं अभी तक सूचीबद्ध नहीं हुई हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा ‘‘कृपया एक ईमेल भेजें।’’ इस पर भूषण ने कहा कि उन्होंने ईमेल भी भेजे हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा ‘‘आज फिर भेजें। इसे सूचीबद्ध किया जाएगा।’’ चुनावी बॉण्ड योजना को एक घोटाला करार देते हुए याचिका में मुखौटा और घाटे में चल रही उन कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत की जांच का अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जिन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया जिसकी जानकारी चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा जारी आंकड़ों से मिली है। याचिका में उन मामलों में कंपनियों द्वारा ‘‘प्रतिदान के तौर पर देय धन वसूलने’’ का अधिकारियों को निर्देश देने की भी मांग की गई है जहां ये अपराध की आय पाए जाते हैं। पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा शुरू की गई गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की चुनावी बॉण्ड योजना रद्द कर दी थी। इस योजना के तहत अधिकृत वित्तीय संस्थान भारतीय स्टेट बैंक ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद निर्वाचन आयोग के साथ डेटा साझा किया था जिसे आयोग द्वारा बाद में सार्वजनिक कर दिया गया था।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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