जम्मू कश्मीर मुद्दे को बातचीत के जरिए हल करने की जरूरत : हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक

श्रीनगर, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक चार साल की नजरबंदी से रिहाई के बाद शुक्रवार को पहली बार लोगों के सामने आए और अपने अलगाववादी संगठन के रुख को दोहराते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाना चाहिए। मीरवाइज ने यह भी कहा कि कश्मीर के लोग समुदायों एवं राष्ट्रों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं और उन्होंने हमेशा कश्मीरी पंडितों की वापसी पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा अपने पंडित भाइयों को घाटी वापस लौटने के लिए आमंत्रित किया है। हम हमेशा से इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने के पक्ष में नहीं रहे हैं। यह एक मानवीय मुद्दा है।” मीरवाइज ने यहां ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शुक्रवार को धार्मिक प्रवचन के दौरान कहा, “हमारा रुख यह है कि जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा भारत में है, दूसरा पाकिस्तान में है और तीसरा चीन में है। इन सभी से मिलकर जम्मू-कश्मीर बनता है, जैसा अगस्त 1947 में था। लोग विभाजित हो गए हैं और यह वास्तविकता है कि इस मुद्दे को हल करने की जरूरत है, जिसका अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी समर्थन करता है।” उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन रेखा की वजह से कई परिवार अलग हो गए हैं और वे अपनी खुशियां मनाने और अपने दुख साझा करने के लिए एक-दूसरे से मिलने की खातिर तरस रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह कुछ लोगों के लिए भौगोलिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए यह सबसे पहले मानवीय मुद्दा है। हमें भूगोल या क्षेत्र जैसे विचारों से ऊपर उठना होगा और मानवीय मूल्यों तथा रिश्तों को समझना होगा और फिर मुद्दों के समाधान की दिशा में आगे बढ़ना होगा।’’ मीरवाइज ने यूक्रेन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया बयान का भी उल्लेख किया कि यह युद्ध का युग नहीं है। हुर्रियत अध्यक्ष ने कहा कि यह भावना सच है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा हमेशा मानना रहा है कि हमने हिंसक तरीकों के विकल्प यानी बातचीत और सुलह के जरिए समाधान के प्रयासों में भाग लिया है। इस मार्ग पर चलने के कारण हमें व्यक्तिगत रूप से परेशानी उठानी पड़ी है।’’ मीरवाइज ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों और आकांक्षाओं का प्रकट करने करने के अलावा हमारी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है, लोग समाधान और शांति चाहते हैं। हम चाहते हैं कि मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से हो, ताकि लोगों को कठिनाइयों से मुक्ति मिल सके।’’ उन्होंने कहा कि मुद्दों के हल के बाद शांति और समृद्धि का एक नया दौर शुरू हो सकता है। अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के समय हिरासत में लिए जाने के चार साल बाद हुर्रियत अध्यक्ष को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का जिक्र करते हुए मीरवाइज ने कहा कि इसके बाद का चरण कश्मीर के लोगों के लिए आसान नहीं रहा है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: