जलवायु अनुकूलन के लिए धन की कमी विकासशील देशों को उच्च जोखिम में डालती है: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

नयी दिल्ली, संयुक्त राष्ट्र की एक नयी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जलवायु जोखिम और इसके प्रभावों के गंभीर होने के स्पष्ट संकेतों के बावजूद अनुकूलन संबंधी वित्तीय आंकड़ों में अंतर बढ़ रहा है और अब यह प्रति वर्ष 194 अरब अमेरिकी डॉलर से 366 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच है।

             दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता से पहले जारी की गई ‘अनुकूलन अंतर रिपोर्ट 2023’ से पता चलता है कि विकासशील देशों की अनुकूलन वित्त आवश्यकताएं 10-18 गुना हैं जो अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त प्रवाह के क्रम में पिछली सीमा के अनुमान से 50 प्रतिशत अधिक है।

             अनुकूलन वित्त अंतर विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन संबंधी अनुमानित लागत और इस लागत को पूरा करने के लिए उपलब्ध धन की मात्रा के बीच का अंतर है।

             संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने रिपोर्ट पर अपने संदेश में कहा, “आज की अनुकूलन अंतर रिपोर्ट ऐसे समय जरूरत और कार्रवाई के बीच बढ़ते विभाजन को दर्शाती है, जब लोगों को जलवायु संबंधी चरम घटनाक्रमों से बचाने की बात आती है।’’ लोगों और प्रकृति की रक्षा के लिए कार्रवाई पहले से कहीं अधिक जरूरी है।”

             उन्होंने कहा, “जीवन और आजीविका खो रही है तथा नष्ट हो रही है। हम एक अनुकूलन आपातकाल में हैं। हमें अनुकूलन अंतर को कम करने के लिए अभी कदम उठाना चाहिए।”

             संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की कार्यकारी निदेशक इंगेर एंडर्सन ने कहा, ‘‘2023 में, जलवायु परिवर्तन फिर से अधिक विघटनकारी और घातक हो गया। तापमान रिकॉर्ड और खराब हुआ तथा तूफान, बाढ़, लू और जंगल की आग ने तबाही मचाई। ये तीव्र होते प्रभाव हमें बताते हैं कि दुनिया को तत्काल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करनी चाहिए और संवेदनशील आबादी की रक्षा के लिए अनुकूलन प्रयासों को बढ़ाना चाहिए।’’

             रिपोर्ट के अनुसार, विकासशील देशों में सार्वजनिक बहुपक्षीय और द्विपक्षीय अनुकूलन वित्त प्रवाह 2021 में 15 प्रतिशत घटकर लगभग 21 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि 2021 में ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में 2019 के अनुकूलन वित्त समर्थन को दोगुना करके 2025 तक प्रति वर्ष लगभग 40 अरब अमेरिकी डॉलर करने का वादा किया गया था।

             एंडरसन ने कहा, “अनुकूलन कार्रवाई के लिए वित्तीय मदद प्रदान करने के नए तरीके खोजने की आवश्यक है।”

             उन्होंने कहा, “न तो विकासशील देशों के लिए 2019 के अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रवाह को 2025 तक दोगुना करने का लक्ष्य और न ही 2030 के लिए संभावित नया सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य उनके अनुकूलन वित्त अंतर को काफी हद तक कम कर पाएगा।”

             रिपोर्ट में एक अध्ययन की ओर इशारा किया गया है जो दर्शाता है कि अकेले 55 सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील अर्थव्यवस्थाओं ने पिछले दो दशकों में 500 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की हानि और क्षति का अनुभव किया है। आने वाले दशकों में यह लागत तेजी से बढ़ेगी, खासकर सशक्त शमन और अनुकूलन के अभाव में।

             अध्ययनों से संकेत मिलता है कि तटीय बाढ़ को लेकर अनुकूलन में निवेश किए गए प्रत्येक अरब डॉलर से आर्थिक क्षति में 14 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आती है। इस बीच, कृषि में प्रति वर्ष 16 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश जलवायु प्रभावों के चलते लगभग 7.8 करोड़ लोगों को भूख से मरने या दीर्घकालिक भूख से मरने से बचाएगा।  रिपोर्ट में घरेलू व्यय, अंतरराष्ट्रीय वित्त और निजी क्षेत्र सहित वित्त व्यवस्था बढ़ाने के सात तरीकों की पहचान की गई है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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