जेल सुधार के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत: गहलोत

जयपुर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में जेलों की व्यवस्था देश के अन्य राज्यों की जेलों के मुकाबले काफी बेहतर है और उनका प्रयास है कि जेलों में स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए और कदम उठाए जाएं।

उन्होंने सजा अवधि पूरी कर चुके बंदियों को आजीविका से जोड़ने के लिए उनकी योग्यता के अनुरूप जेल विभाग द्वारा प्लेसमेंट की व्यवस्था किए जाने का सुझाव दिया। इससे बंदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में आसानी होगी।

गहलोत बृहस्पतिवार को राजस्थान कारागार विभाग की फीचर फिल्म ‘रोड टू रिफॉर्म‘ के ऑनलाइन रिलीज कार्यक्रम के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जेलों में बंदियों के साथ अच्छा बर्ताव ही उनके जीवन में सुधार का मार्ग प्रशस्त करता है। ‘रोड टू रिफॉर्म‘ फिल्म का निर्माण भी जेलों में सुधार की दृष्टि से एक अच्छा नवाचार है और ऐसे नवाचार निरंतर किए जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘अपराधी से नहीं अपराध से घृणा करो‘। इसी भावना को ध्यान में रखकर राज्य सरकार लगातार जेल सुधार कार्यों को आगे बढ़ा रही है। इससे बंदियों की जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।

राजस्थान दिवस पर राज्य सरकार ने अच्छे आचरण वाले 1350 बंदियों को रिहा किया था। पिछले माह भी कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए 124 बंदियों को स्पेशल पैरोल दी गयी और 92 बंदियों की पैरोल अवधि बढ़ाई गई। हाल ही बंदियों की न्यूनतम मजदूरी में भी 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

गहलोत ने कहा कि यह खुशी की बात है कि टाटा ट्रस्ट द्वारा हाल ही प्रकाशित ‘इंडिया जस्टिस‘ रिपोर्ट में राजस्थान जेल विभाग को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है, जबकि पिछले वर्ष हम 12वें स्थान पर थे। इसी प्रकार, जेलों में सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर राजस्थान ’ई-मुलाकात’ में प्रथम स्थान पर रहा है। यहां एक लाख से अधिक ई-मुलाकातें करवाई गईं।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जेलों में 45 वर्ष से अधिक आयु के बंदियों का शत-प्रतिशत तथा 18 से 45 आयु वर्ग के 80 प्रतिशत बंदियों के कोविड टीकाकरण पर जेल विभाग के प्रयासों को सराहा।

महानिदेशक जेल राजीव दासोत ने कहा कि जेलों में सुधार की दृष्टि से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ’रोड टू रिफॉर्म’ फिल्म का निर्माण इसी दिशा में किया गया एक नवाचार है। उन्होंने बताया कि इस फिल्म के निर्माण में जेल के बंदी, अधिकारियों और कर्मचारियों ने ही भूमिका निभाई है और फिल्म की शूटिंग भी जयपुर सेंट्रल जेल, महिला जेल एवं सांगानेर खुली जेल में हुई है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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