तकनीकी विशेषज्ञ नहीं होते साइबर अपराधी, अपनी बातों में फंसाकर करते हैं ठगी : पुलिस अधिकारी

यी दिल्ली, दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर साइबर अपराधी कोई प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ नहीं होते और वे कम पढ़े लिखे होते हैं जो अपनी बातों में भोले-भाले लोगों को फंसाकर उनसे ऑनलाइन ठगी करते हैं। पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जांच के दौरान उनके अधिकारी पीड़ितों और आरोपियों का विवरण तैयार करने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा साइबर अपराधियों की कोई अच्छी शैक्षणिक पृष्ठभूमि नहीं होती लेकिन वे अपने शिकार को कहानियां सुनाने में माहिर होते हैं। उन्होंने कहा कि उनमें से कोई भी इंजीनियरिंग स्नातक नहीं होता और उनमें से अधिकतर लोग 10वीं या 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होते हैं। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी पीड़ितों का इस हद तक विश्वास जीत लेते हैं कि जब पुलिस या अन्य लोग उन्हें चेतावनी देते हैं कि वे ठगी का शिकार हो सकते हैं तो वे सलाह के लिए फिर से ठग से सम्पर्क करते हैं। उन्होंने कहा मुझे याद है जब हमारी टीम ने साइबर धोखाधड़ी के एक मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। वह पश्चिम बंगाल की एक बुजुर्ग महिला को ठगने वाला था। हमारे अधिकारी ने उसे फोन करके बताया कि जिस व्यक्ति को वह पैसे भेजने वाली थी उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। यह सूचना दिये जाने के तुरंत बाद महिला ने गिरफ्तार व्यक्ति के साथियों को फोन कर बताया कि उसे एक संदिग्ध कॉल आयी है और उसे लगता है कि कोई व्यक्ति खुद को पुलिस बताकर उसके साथ धोखाधड़ी कर रहा है। उन्होंने कहा कि पीड़ित आम तौर पर अधेड़ उम्र के पुरुष या महिलाएं होते हैं जो वैवाहिक साइट पर जीवनसाथी की तलाश करते हैं अच्छी तरह से शिक्षित संपन्न और निवेश के प्रति जागरूक होते हैं। दिल्ली पुलिस ने इस साल अब तक 500 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी की जांच की है। तिवारी ने कहा कि साइबर अपराधी एक राज्य में बैंक खाते खोलकर और दूसरे राज्य से सिम खरीदकर पूरे देश में अपना जाल फैला रहे हैं। उन्होंने कहा पहले साइबर अपराध की ज़्यादातर घटनाएं झारखंड के जामताड़ा या हरियाणा के मेवात क्षेत्र से होती थीं। ‘जामताड़ा’ वहां से संचालित होने वाले साइबर अपराधियों पर बनी एक वेब सीरीज़ की वजह से चर्चा में आया था लेकिन अब अन्य स्थान भी साइबर ठगी के केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी इकाई ने ऐसे 15 से ज़्यादा क्षेत्रों को चिह्नित किया है।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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