दिनेश गुणवर्धने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री नियुक्त, 18 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने ली शपथ

कोलंबो, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में राजनीतिक स्थिरता लाने और उसे आर्थिक संकट से निकालने की कवायद के तहत शुक्रवार को अनुभवी नेता और राजपक्षे परिवार के करीबी दिनेश गुणवर्धने को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इस समय श्रीलंका लगभग दिवालिया हो चुका है।

श्रीलंका की नयी सरकार का गठन विक्रमसिंघे ने सेना और सशस्त्र पुलिस द्वारा राष्ट्रपति कार्यालय के समक्ष डेरा डाले सरकार-विरोधी प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने के कुछ घंटे के बाद किया।

सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों के मुताबिक दंगे-रोधी उपकरणों से लैस होकर पहुंचे अधिकारी प्रदर्शनकारियों के शिविरों को उखाड़ते और कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करते नजर आ रहे हैं। सचिवालय के ऊपर लगाए गए बैनर को भी अधिकारियों ने हटा दिया।

श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर पिछले कुछ महीनों से संघर्ष की स्थिति है। कई लोग इस स्थिति के लिए अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन को जिम्मेदार मानते हैं।

प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने के फैसले की विपक्ष और कई पश्चिमी राजदूतों ने आलोचना की है। इस कदम को राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा सरकार-विरोधी प्रदर्शनकारियों से बलपूर्वक निपटने का संकेत माना जा रहा है। इन प्रदर्शनों की वजह से ही गोटबाया राजपक्षे को पद छोड़ना पड़ा था।

राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया था, लेकिन आधिकारिक रूप से उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ली, जब 20 जुलाई को संसद ने उन्हें निर्वाचित घोषित किया।

राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यकाल के पहले दिन मंत्रिमंडल के 18 सदस्यों ने शपथ ग्रहण किया। प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के अलावा मंत्रिमंडल में 17 अन्य मंत्री शामिल हैं।

वित्त मंत्री रहे अली साबरी को विदेश मंत्री बनाया गया है। विश्लेषकों का मानना है कि साबरी को विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है, ताकि वह अपनी कुशलता और क्षमता का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सहित अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से समझौता करने में कर सकें।

लोक प्रशासन, गृह मामले, प्रांतीय परिषद तथा स्थानीय शासन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार प्रधानमंत्री गुणवर्धने (73) को सौंपा गया है। अन्य मंत्रियों को उनके पुराने मंत्रालय ही सौंपे गए हैं। वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार विक्रमसिंघे के पास है।

अन्य मंत्रियों को पहले वाले ही मंत्रालय सौंपे गए हैं।

विक्रमसिंघे ने कहा कि देश के अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट को दूर करने के वास्ते सर्वदलीय सरकार के गठन के लिए वह कदम उठा रहे हैं।

श्रीलंका की राजनीति में अनुभवी नेता गुणवर्धने को अप्रैल में, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान गृह मंत्री बनाया गया था। वह विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद प्रधानमंत्री पद खाली हो गया था। गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़ने और पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने बृहस्पतिवार को देश के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी।

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री गुणवर्धने एक ही स्कूल में पढ़े हैं और विभिन्न मंत्रालयों को संभाल चुके हैं।

इस बीच, पुलिस ने सूर्योदय से पहले सरकार-विरोधी प्रदर्शनकारियों के मुख्य शिविर पर छापे की कार्रवाई को ‘‘राष्ट्रपति सचिवालय पर नियंत्रण वापस लेने का विशेष अभियान’’ करार दिया है।

प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास तथा प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा करने के बाद नौ जुलाई को इन्हें खाली कर दिया था, लेकिन राष्ट्रपति सचिवालय के कुछ कमरों पर कब्जा जमाए हुए थे।

उन्होंने विक्रमसिंघे को भी नये राष्ट्रपति के तौर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उनका मानना है कि देश में अभूतपूर्व आर्थिक और राजनीतिक संकट के लिए उनकी पार्टी भी जिम्मेदार हैं।

राष्ट्रपति कार्यालय के द्वार को नौ अप्रैल से ही अवरुद्ध करके बैठे प्रदर्शनकारियों में से एक सदस्य ने कहा कि वह विक्रमसिंघे के इस्तीफे तक संघर्ष करेंगे।

श्रीलंका की नयी सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों को शुक्रवार तड़के बलपूर्वक हटाने पर कई देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों ने चिंता जताई है।

श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने इसपर गहरी चिंता जताने के लिए विक्रमसिंघे से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि ‘‘यह पूरी तरह से अवांछित था और पूरी रात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हुई हिंसा परेशान करने वाली है।’’

जूली ने कहा कि राष्ट्रपति और उनके मंत्रिमंडल के पास श्रीलंकाई लोगों के बेहतर भविष्य के वास्ते कार्य करने के लिए ‘‘अवसर और जिम्मेदारी है।’’

उन्होंने यहां जारी बयान में कहा, ‘‘यह समय नागरिकों पर कार्रवाई करने का नहीं है, बल्कि तत्काल और ठोस कदम उठाने का है ताकि सरकार लोगों का भरोसा फिर से जीत सके, स्थिरता स्थापित कर सके और अर्थव्यवस्था को पुन: स्थापित कर सके।’’

श्रीलंका में तैनात ब्रिटिश उच्चायुक्त सारा हल्टन ने गाले फेस प्रदर्शन स्थल से आई खबर पर चिंता जताई। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि उनका रुख शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के महत्व को लेकर स्पष्ट है।

श्रीलंका में यूरोपीय संघ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा गया कि सकंटग्रस्त द्वीपीय देश में मौजूदा सत्ता हस्तांतरण के लिए ‘‘आजादी की अभिव्यक्ति’’ महत्वपूर्ण थी।

ईयू ने कहा कि यह देखना कठिन होगा कि कैसे अभिव्यक्ति की आजादी को सीमित करके आर्थिक और राजनीतिक संकट का समाधान तलाशने में मदद मिलती है।

समागी जन बालवेगया पार्टी के नेता और श्रीलंका के नेता प्रतिपक्ष सजीत प्रेमदासा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जरूरत से अधिक बल प्रयोग किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि अत्यधिक बल प्रयोग किया गया, जो अवांछित था। इस अमानवीय कृत्य को किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।’’

विक्रमसिंघे ने कहा कि सरकारी इमारतों पर कब्जा गैर-कानूनी है। उन्होंने चेतावनी दी कि कब्जा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

नवनियुक्त राष्ट्रपति ने कहा कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करेंगे, लेकिन उनसे सख्ती से निपटेंगे, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की आड़ में हिंसा को प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हैं।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : https://en.wikipedia.org/wiki/Dinesh_Gunawardena#/media/File:Dinesh_Gunawardena_(cropped).jpg

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