दिल्ली-एनसीआर में एक लाख से अधिक फ्लैट ‘खाली’, बिल्डरों को बेचने में लगेंगे छह साल : रिपोर्ट

नयी दिल्ली, दिल्ली-एनसीआर के बिल्डरों को अपने 1.01 लाख खाली पड़े (अनसोल्ड) फ्लैटों को बेचने में करीब छह साल लगेंगे। संपत्ति सलाहकार कंपनी प्रॉपटाइगर ने यह राय जताई है।

प्रॉपटाइगर का हालांकि मानना है कि बेंगलुरु और कोलकाता के बिल्डर अपने बिना बिके मकानों को 31 माह में बेच सकेंगे।

ऑस्ट्रेलिया के आरईए समूह और न्यूज कॉर्प के स्वामित्व वाले तीन रियल एस्टेट पोर्टल हाउसिंग.कॉम, प्रॉपटाइगर और मकान.कॉम सलाहकार और ब्रोकरेज सेवाएं प्रदान करते हैं।

प्रॉपटाइगर के ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आठ प्रमुख शहरों में बिल्डरों के पास 31 मार्च, 2022 तक करीब 7,35,852 आवासीय इकाइयां ऐसी थीं, जो बिक नहीं पाई हैं। पिछले साल मार्च में ऐसे फ्लैटों की संख्या 7,05,344 थी।

प्रॉपटाइगर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले इन खाली फ्लैटों की बिक्री में 47 माह का समय लगने का अनुमान था। लेकिन हाल के समय में घरों की मांग बढ़ी है। इससे खाली घरों की बिक्री में अब 42 महीने का समय लगने का अनुमान है।

सबसे ज्यादा बिना बिके फ्लैट दिल्ली-एनसीआर में हैं। वहीं बेंगलुरु और कोलकाता में इनकी संख्या सबसे कम है। 31 मार्च, 2022 तक अहमदाबाद में 62,602 आवासीय इकाइयां खाली थीं। अहमदाबाद के फ्लैटों की बिक्री में 42 महीने का समय लगने का अनुमान है। वहीं बेंगलुरु में खाली घरों की संख्या 66,151 और कोलकाता में 23,850 थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरु और कोलकाता के बिल्डरों को अपने खाली फ्लैटों को बेचने में 31 माह का समय लगेगा।

इसी तरह चेन्नई में बिना बिके खाली पड़े घरों की संख्या 34,059 है। इन्हें बेचने में बिल्डरों को 34 महीने लगेंगे। हैदराबाद में 73,651 घर खाली पड़े हैं। इनकी बिक्री में 42 महीने का समय लगने का अनुमान है।

मुंबई और पुणे में बिना बिकी आवासीय इकाइयों की संख्या क्रमश: 2,55,814 (बेचने में 48 महीने का समय लगेगा) और 1,18,321 (32 महीने का समय) है।

दिल्ली-एनसीआर के बाजार में खाली पड़े फ्लैटों की संख्या 1,01,404 इकाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिल्डरों को इन फ्लैटों को बेचने में छह साल से अधिक यानी 73 महीने का समय लगेगा।

पिछले सप्ताह प्रॉपटाइगर ने कहा था कि आठ प्रमुख शहरों में जनवरी-मार्च के दौरान घरों की बिक्री साल-दर-साल आधार पर सात प्रतिशत बढ़कर 70,623 इकाई हो गई है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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