दिल्ली ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्य योजना का मसौदा तैयार किया

नयी दिल्ली, जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने एक कार्ययोजना का मसौदा तैयार किया है, जिसमें तापमान और वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन के कारण उत्पादन क्षमता के लिए संभावित भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, अन्य राज्यों से जलविद्युत पर राष्ट्रीय राजधानी की निर्भरता में कमी का प्रस्ताव है। दिल्ली आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी ने वित्तवर्ष 2021-22 में 3746 करोड़ यूनिट बिजली की खरीद की। इनमें से 16.65 प्रतिशत बिजली दिल्ली सरकार के स्वामित्व वाले विद्युत संयंत्रों से प्राप्त हुआ। बाकी की बिजली केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के संयंत्रों से प्राप्त की गई। रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु अनुमानों से संकेत मिलता है कि तापमान में वृद्धि और भारी वर्षा की दीर्घ अवधि की वजह से दिल्ली में ऊर्जा और बिजली क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि चरम मौसमी दशाओं यथा तापमान में वृद्धि और बारिश के पैटर्न में बदलाव से दिल्ली की अवसंरचना और बिजली आपूर्ति के सामने चुनौती पेश आएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, तापमान और बारिश के पैटर्न में बदलाव से जलविद्युत उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित होगा। इसमें कहा गया है कि चूंकि दिल्ली के पास अपनी जलविद्युत उत्पादन क्षमता नहीं है, इसलिये इस ऊर्जा के लिये वह अन्य राज्यों पर निर्भर है। रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण जल प्रवाह भी प्रभावित हो सकता है, जिससे जलविद्युत उत्पादन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसलिए जलविद्युत पर से निर्भरता कम करने और स्वच्छ एवं नवीनीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। शहर में स्वच्छ सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए दिल्ली सरकार ने सितंबर 2016 में दिल्ली सौर ऊर्जा नीति की घोषणा की थी, जिसमें 2025 तक दो हजार मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था। इस नीति के तहत 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल की सभी सरकारी इमारतों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाना अनिवार्य किया गया था। घरों में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए तीन साल के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन की पेशकश की गई थी। सितंबर 2022 तक के प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में 6,864 स्थानों पर सौर ऊर्जा प्रणाली लगाई गई है, जिनकी कुल क्षमता 244 मेगावाट बिजली उत्पादन की है। मसौदा योजना नई संरचनाओं के लिए विशिष्टताओं में सुधार करने की सिफारिश करती है, ताकि ये संरचनाएं तेज हवा जैसी चरम स्थितियों का सामना करने और उच्च तापमान को सुरक्षित तरीके से सहन करने में सक्षम हो। इसमें कहा गया है कि कुछ मामलों में, कमज़ोर मौजूदा बुनियादी ढांचे में कुछ सुधार करने या बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है। जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्ययोजना (एसएपीसीसी) में इस बात पर जोर दिया गया है कि भूमिगत वितरण से हवा, उच्च तापमान, जंग लगने या बाढ़ आदि के खतरे से बचा जा सकता है। मसौदा कार्य योजना में कहा गया है कि इसी प्रकार बिजली वितरण के लिए उच्च मानक के खंभे लगाने की बात की गई है, ताकि वे तेज हवाओं और बाढ़ का सामना कर सकें। इसमें कहा गया है कि उपकेंद्रों और ट्रांसफॉर्मर के लिये बेहतर शीतलन प्रणाली बढ़ते तापमान का प्रबंधन करने में मदद करेगी। मसौदा कार्य योजना में चरम मौसमी दशाओं और आपदाओं से होने वाले नुकसान से निपटने के लिए त्वरित-प्रतिक्रिया मरम्मत टीम की स्थापना की सिफारिश में की गई है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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