देश के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के भूजल प्रबंधन का खाका तैयार करने के लिये भू-भौतिकी सर्वेक्षण होगा

नयी दिल्ली, देश के सूखाग्रस्त भूभागों के भूजल प्रबंधन और सतत विकास की नीतियों का खाका तैयार करने के लिये 4 लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग की जल आवश्यकताओं का अध्ययन एवं भू-भौतिकी सर्वेक्षण किया जायेगा।

जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इसके लिये केंद्रीय भूजल बोर्ड तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिकी अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय भू भौतिकी अनुसंधान संस्थान के बीच उच्च क्षमता के एक्विफर मैपिंग एंड मैनेजमेंट को लेकर सोमवार को समझौता (एमओयू) हुआ है । उन्होंने बताया कि इस समझौते के तहत देश के 4 लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग की भूजल आवश्यकताओं का अध्ययन करने के लिए भू भौतिकी सर्वेक्षण प्रयोग किया जाएगा।

मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते के प्रथम चरण में 54 करोड़ रूपये की लागत के साथ राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के 1 लाख वर्ग किलोमीटर का अध्ययन होगा।

जल शक्ति मंत्रालय का मानना है कि देश के सूखाग्रस्त भूभागों के भूजल प्रबंधन और सतत विकास की नीतियों का खाका तैयार करने की दृष्टि से यह समझौता काफी महत्वपूर्ण रहेगा। इसके तहत राजस्थान के पश्चिमी शुष्क क्षेत्र का लगभग 65,500 वर्ग किलोमीटर (बीकानेर, चुरू, गंगा नगर, जालौर, पाली, जैसलमेर, जोधपुर और सीकर जिले का कुछ हिस्सा) शामिल है जबकि गुजरात के शुष्क क्षेत्र का 32,000 वर्ग किमी (राजकोट, जामनगर, मोरबी, सुरेंद्रनगर और देवभूमि द्वारका जिला) और हरियाणा का लगभग 2500 वर्ग किलोमीटर (कुरुक्षेत्र और यमुना नगर जिला) क्षेत्र को शामिल किया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि इससे केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) को जल की कमी वाले क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन योजना को तेजी के साथ आगे बढ़ाने और अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों द्वारा जल की कमी से प्रभावित इलाकों में भूजल स्तर में सुधार लाने के लिए खाका तैयार करने में मदद मिलेगी।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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