देश में आकाशीय बिजली गिरने के कारण मौत की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई : अध्ययन

नयी दिल्ली  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के विश्लेषणात्मक आंकड़ों से पता चलता है कि जिस तरह 2010 से 2020 के दशक में आकाशीय बिजली गिरने के कारण मौत की घटनाओं में ‘‘चिंताजनक’’ वृद्धि हुई है उस लिहाज से यह दशक ‘‘सबसे घातक’’ रहा है। 

अध्ययन में कहा गया कि आकाशीय बिजली गिरने के कारण हुई मौत की दर 1986 में 28 की तुलना में 2016 में 81 हो गई। ओडिशा के फकीर मोहन विश्वविद्यालय सहित अध्ययनकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि 1967 और 2020 के बीच आकाशीय बिजली गिरने से 1 01 309 मौतें हुईं  लेकिन 2010-2010 के दौरान इसमें ‘‘चिंताजनक’’ वृद्धि देखी गई। 

पत्रिका ‘एंवायरमेंट  डेवलपमेंट एंड सस्टेनबिलिटी’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया  ‘‘आंकड़ों से पता चलता है कि 1967 से 2002 की अवधि में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में औसत वार्षिक मृत्यु दर 38 से बढ़कर 2003 से 2020 के बीच 61 हो गई। उल्लेखनीय रूप से 2010 से 2020 का दशक आकाशी बिजली गिरने की घटनाओं के मामले में सबसे घातक रहा है।’’

इसमें कहा गया  ‘‘इसका मतलब है कि हर साल औसतन 1 876 मौतें होती हैं।’’   उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं और आगामी वर्षों में देश में स्थिति और भी खराब होने की आशंका है।राज्य और क्षेत्रीय दोनों स्तरों के चलन में शोधकर्ताओं ने पाया कि मध्यप्रदेश में बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतें हुई  उसके बाद महाराष्ट्र  उत्तर प्रदेश और ओडिशा में ज्यादा मौत दर्ज की गईं। 

हालांकि  उन्होंने कहा कि प्रति 1 000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में आकाशीय बिजली गिरने के कारण हुई मौतें बड़े राज्यों की तुलना में ‘‘अपेक्षाकृत छोटे’’ राज्य बिहार (79 मौतें) में सबसे अधिक हुईं  उसके बाद पश्चिम बंगाल (76) और झारखंड (42) का आंकड़ा ज्यादा रहा।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: