नए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज होने पर तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा: शाह

नयी दिल्ली , केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद उच्चतम न्यायालय के स्तर तक सभी मामलों में न्याय प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिलेगा। शाह ने नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि भविष्य में अपराधों में कमी आएगी और नए कानूनों के तहत 90 प्रतिशत मामलों में दोषसिद्धि होगी। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। उन्होंने कहा ‘‘उच्चतम न्यायालय के स्तर तक न्याय प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिल सकता है।’’ गृह मंत्री ने कहा कि तीनों आपराधिक कानूनों के लागू होने से भारत में दुनिया में सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी। उन्होंने कहा ‘‘नए कानून आधुनिक न्याय प्रणाली को स्थापित करते हैं जिनमें ‘जीरो एफआईआर’ पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।’’ शाह ने बताया कि नए कानून के तहत पहला मामला ग्वालियर में रविवार रात 12 बजकर 10 मिनट पर मोटरसाइकिल चोरी का दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि नए कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे जबकि औपनिवेशिक काल के कानूनों में दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता दी जाती थी।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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