नयी शिक्षा नीति समानता, गुणवत्ता और पहुंच के सिद्धांतों पर आधारित: पोखरियाल

नोएडा (उप्र), केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शुक्रवार को कहा कि भारत की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) समानता, गुणवत्ता और पहुंच की अवधारणाओं पर आधारित है।पोखरियाल ने बच्चे की मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा दिए जाने के लाभों पर जोर देने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के संदर्भ में देश की ‘‘विविधता’’ की प्रकृति का उल्लेख किया। उन्होंने एमिटी विश्वविद्यालय के ‘‘भारत के बदलाव के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन’’ पर दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा कि एनईपी के क्रियान्वयन को लेकर ने केवल देश बल्कि विश्व स्तर पर भी जागरूकता और उत्साह है।

पोखरियाल ने कहा, ‘‘नयी शिक्षा नीति अतीत को भविष्य से जोड़ती है और भारत को शीर्ष पर ले जाने पर केंद्रित है।’’ उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि देश शिक्षा के क्षेत्र में अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए संकल्पित है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप एनईपी को एक व्यापक क्षितिज से देखते हैं, तो यह नीति जितनी अंतरराष्ट्रीय है, उतनी ही राष्ट्रीय है। यह प्रभावशाली, समावेशी और परस्पर प्रभाव डालने वाली है। नयी शिक्षा नीति समानता, गुणवत्ता और पहुंच की अवधारणाओं पर आधारित है।’’ उन्होंने कहा कि एनईपी मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में बढ़ावा देती है क्योंकि यह माना जाता है कि कोई भी अन्य भाषा किसी व्यक्ति को अपनी मातृभाषा जितनी अभिव्यक्ति नहीं दे सकती।

पोखरियाल ने कहा, ‘‘प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होगी और बाद में अन्य भाषाओं में बदल सकती है।’’

यह देखते हुए कि कुछ लोगों ने अंग्रेजी के वैश्विक उपयोग को देखते हुए नयी नीति के वैश्विक प्रभाव को लेकर संदेह जताया था, उन्होंने पूछा कि क्या जापान, जर्मनी, फ्रांस और इजराइल जैसे देश, दूसरों से पीछे रह गए हैं क्योंकि उन्होंने अपनी मातृभाषा अपनायी है।

मंत्री ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अधिकारियों सहित श्रोताओं से कहा कि नीति का क्रियान्वयन नीति के समान ही महत्वपूर्ण है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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