नयी दिल्ली, अमेरिका में रहने वाले एक कैंसर रोग विशेषज्ञ ने कहा है कि निम्न और मध्यम आय वाले देश गैर-संचारी रोगों और संक्रमण संबंधी बीमारियों के दोहरे बोझ से जूझ रहे हैं और ऐसे देशों में प्रचलित या विशिष्ट प्रकार के कैंसर की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करना अहम है।
डॉ. शोभा कृष्णन ने आंकड़ों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि भारत में कैंसर के मामलों में 2020 की तुलना में 2025 तक लगभग 13 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है इसलिए इससे निपटने के लिए जानकारियों और सर्वोत्तम तौर-तरीकों का आदान-प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है।
अमेरिका में स्थित ‘ग्लोबल इनिशिएटिव अगेंस्ट एचपीवी एंड सर्वीकल कैंसर’ (जीआईएएचसी) के संस्थापक और अध्यक्ष कृष्णन इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में आयोजित पहली अमेरिका-भारत कैंसर वार्ता में भाग लेने के लिए हाल ही में भारत आए थे।
जून 2023 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कैंसर के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाने के लिए नयी प्रतिबद्धताओं की घोषणा करके अमेरिका और भारत के बीच मजबूत स्वास्थ्य साझेदारी की पुष्टि की थी जिसमें कैंसर की रोकथाम रोग का शीघ्र पता लगाने और उपचार के सिलसिले में अमेरिका-भारत कैंसर वार्ता आयोजित करना भी शामिल था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कैंसर विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है जिसके कारण 2018 में 96 लाख लोगों की मौत होने का अनुमान जताया गया था। यानी हर छह में से एक व्यक्ति की मौत कैंसर के कारण हुई थी।
कृष्णन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा निम्न और मध्यम आय वाले देश (एलएमआईसी) दोहरी बीमारी के बोझ से जूझ रहे हैं क्योंकि कैंसर जैसी गैर-संचारी बीमारियां लगातार संक्रामक बीमारियों के साथ-साथ तेजी से बढ़ रही हैं। हालांकि एलएमआईसी और उच्च आय वाले देशों (एचआईसी) के बीच कई सहयोग अत्याधुनिक शोध और उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हैं लेकिन एलएमआईसी में प्रचलित या विशिष्ट प्रकार के कैंसर की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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