पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में आतंकी ठिकानों पर ईरान के हमलों पर ‘‘गंभीर परिणामों’’ की चेतावनी दी

लाहौर, पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में एक सुन्नी आतंकी संगठन से जुड़े ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए जाने पर ईरान को ‘‘गंभीर परिणाम’’ भुगतने की चेतावनी दी है। ईरान के इन हमलों में दो बच्चों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।

             ईरानी मीडिया ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकवादी समूह जैश-अल-अदल के दो ठिकानों को मंगलवार को मिसाइलों से निशाना बनाया।  यह कार्रवाई रिवोल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा इराक और सीरिया में किए गए हमलों के एक दिन बाद की गई।  पाकिस्तान ने ‘‘अपने हवाई क्षेत्र के उल्लंघन’’ की कड़ी निंदा करते हुए ईरान के प्रभारी राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया।

             पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि ईरान का यह कृत्य उसके ‘‘हवाई क्षेत्र का अकारण उल्लंघन’’ है। पश्चिम एशिया में हमास और इजराइल के युद्ध के कारण पहले से ही स्थिति तनावपूर्ण है, ऐसे में ईरान के इन हमलों ने चिंता और बढ़ा दी है। ईरानी समाचार एजेंसी तसनीम ने कहा, “पाकिस्तान में जैश-अल-धुल्म (जैश-अल-अदल) आतंकवादी समूह के दो प्रमुख ठिकानों को विशेष रूप से लक्षित किया गया और सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया गया।” ईरान ने बार-बार चेतावनी दी है कि जैश-अल-अदल आतंकवादी समूह उसके सुरक्षाबलों पर हमले करने के लिए पाकिस्तान की भूमि का इस्तेमाल कर रहा है और बलूचिस्तान के सीमावर्ती शहर पंजगुर में इसके ठिकाने हैं।

             पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने इस घटना को “अपने हवाई क्षेत्र का उल्लंघन” करार देते हुए कहा कि इस हमले में दो बच्चों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।

             विदेश कार्यालय ने कहा, ‘‘पाकिस्तान अपनी संप्रभुता के उल्लंघन का कड़ा विरोध करता है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।’’इसने बयान में कहा, ”ईरानी विदेश मंत्रालय के संबंधित वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष इसे लेकर पहले ही कड़ा विरोध दर्ज कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान की संप्रभुता के इस घोर उल्लंघन की कड़ी निंदा से अवगत कराने के लिए ईरान के प्रभारी राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया है और इसके परिणामों की जिम्मेदारी पूरी तरह से ईरान की होगी।”

             इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई कि “पाकिस्तान और ईरान के बीच बातचीत के कई स्थापित माध्यमों के बावजूद यह अवैध कार्रवाई हुई।”

             द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर के अनुसार, ये हमले उस दिन हुए जब पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अवसर पर ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की। इसमें कहा गया कि ईरानी राष्ट्रपति के अफगानिस्तान मामलों के सलाहकार भी हाल में इस्लामाबाद में थे।

             पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने हालांकि हमले वाले स्थान का उल्लेख नहीं किया लेकिन संदेह है कि ये ठिकाने बलूचिस्तान प्रांत के पंजगुर में थे। पंजगुर में स्थानीय अधिकारी हमलों को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। कुछ लोगों ने माना कि मिसाइल हमलों में एक मस्जिद को भी निशाना बनाया गया जिससे इसे आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा और कुछ आम लोग घायल हो गए। विदेश कार्यालय ने कहा, “पाकिस्तान ने हमेशा कहा है कि आतंकवाद क्षेत्र के सभी देशों के लिए एक आम खतरा है जिसके लिए समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। ऐसे एकतरफा कृत्य अच्छे पड़ोसी संबंधों के अनुरूप नहीं हैं और द्विपक्षीय विश्वास को गंभीर रूप से कमजोर कर सकते हैं।”

             जैश अल-अदल या ‘आर्मी ऑफ जस्टिस’ 2012 में स्थापित एक सुन्नी आतंकवादी समूह है जो पाकिस्तान में पैर जमाए हुए है। ईरान ने सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, लेकिन पाकिस्तान पर ईरान का मिसाइल और ड्रोन हमला अभूतपूर्व है।  अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय के अनुसार, जैश-अल-अदल सिस्तान-बलूचिस्तान में “सबसे सक्रिय और प्रभावशाली” सुन्नी आतंकवादी समूह है।

             ईरान के गृह मंत्री अहमद वाहिदी के अनुसार, पिछले महीने, दक्षिण पूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान में एक थाने पर रात में हुए हमले में कम से कम 11 ईरानी पुलिस अधिकारी मारे गए थे। उन्होंने इस घटना के लिए जैश अल-अदल को जिम्मेदार बताया। उन्होंने दावा किया कि जैश के आतंकवादी पंजगुर के पास पाकिस्तान की ओर से सिस्तान में दाखिल हुए थे।

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