पेरिस, ऊंची कूद के खिलाड़ी प्रवीण कुमार ने रिकॉर्ड प्रदर्शन की बदौलत तोक्यो के अपने रजत पदक को शुक्रवार को यहां स्वर्ण पदक में बदल दिया जिससे भारत को पैरालंपिक खेलों की तालिका में कनाडा और कोरिया जैसे देशों से आगे निकलने में मदद की। देश के पैरा खिलाड़ियों ने यहां अपने सर्वश्रेष्ठ पैरालंपिक प्रदर्शन के अनुमानों को धता बताते हुए आगे बढ़ना जारी रखा। प्रवीण कुमार ने में पुरुषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड तोड़कर स्वर्ण पदक जीत लिया। इस स्पर्धा में टी44 वर्ग के खिलाड़ी भी हिस्सा लेते हैं। छोटे पैर के साथ पैदा हुए नोएडा के प्रवीण (21 साल) ने छह खिलाड़ियों में 2.08 मीटर से सत्र की सर्वश्रेष्ठ कूद लगाई और शीर्ष स्थान हासिल किया। अमेरिका के डेरेक लोकिडेंट ने 2.06 मीटर की सर्वश्रेष्ठ कूद के साथ रजत पदक जीता जबकि उज्बेकिस्तान के टेमुरबेक गियाजोव ने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 2.03 मीटर से तीसरा स्थान हासिल किया। टी64 में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनके एक पैर के निचले हिस्से में मामूली रूप से मूवमेंट कम होता है या घुटने के नीचे एक या दोनों पैर नहीं होते जबकि टी44 (जिसमें प्रवीण खेलते हैं) उन खिलाड़ियों के लिए होता है जिसमें एक पैर का मूवमेंट कम या मध्यम डिग्री तक प्रभावित होता है। प्रवीण के स्वर्ण पदक से भारत के कुल पदक 26 हो गये हैं जिसमें छह स्वर्ण नौ रजत और 11 कांस्य पदक शामिल है। इससे भारत ने पैरालंपिक खेलों के एक चरण में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी दर्ज किया और इसके और बेहतर होने की उम्मीद है। भारत ने प्रवीण के स्वर्ण से तोक्यो पैरालंपिक के स्वर्ण पदकों की तालिका को भी पीछे छोड़ दिया। तोक्यो पैरालंपिक में भारत ने पांच स्वर्ण छह रजत और आठ कांस्य पदक जीते थे। उन्होंने 1.89 मीटर से शुरुआत करने का विकल्प चुना। अपने पहले प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल की और स्वर्ण पदक जीतने के लिए खुद को शीर्ष स्थान पर बनाये रखा। इसके बाद प्रवीण और लोकिडेंट के बीच शीर्ष स्थान के लिए मुकाबला जारी रहा लेकिन भारतीय एथलीट इसमें सफल रहा। यह 2023 विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता प्रवीण का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी था। प्रवीण का विकार जन्म से है जो उनके कूल्हे को बायें पैर से जोड़ने वाली हड्डियों को प्रभावित करता है। बचपन में वह अकसर अपने साथियों से तुलना के कारण हीन भावना से जूझते रहे। इस असुरक्षा की भावना से लड़ने के लिए उन्होंने खेल खेलना शुरू किया और वॉलीबॉल में हाथ आजमाया। पर एक पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में ऊंची कूद स्पर्धा में भाग लेने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। शरद कुमार और मरियप्पन थंगावेलु के बाद प्रवीण पेरिस में पदक जीतने वाले ऊंची कूद के तीसरे एथलीट हैं। शरद ने तीन सितंबर को पुरुषों की ऊंची कूद टी63 स्पर्धा में रजत और थंगावेलु ने कांस्य पदक जीता था।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common