बाल मजदूरों को बचाने के लिए कार्रवाई की जाएगी : दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा

नयी दिल्ली, आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया कि देश के विभिन्न भागों से तस्करी कर लाए और यहां बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर नाबालिगों को बचाने के लिए ठोस सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह यह प्राथमिकता वाला विषय है। पीठ ने दिल्ली सरकार के अधिवक्ता को इस मामले में की गई कार्रवाई पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें अनुरोध किया गया है कि बंधुआ मजदूरों के रूप में काम कर रहे एक हजार से अधिक नाबालिगों को बचाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सहयोग केयर फॉर यू’ के काम का समर्थन करने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता रोहतास ने याचिका में कहा कि उन्होंने दिल्ली में विभिन्न परिसरों में छापेमारी करने और 245 बच्चों एवं 772 किशोरों को बचाने के लिए 18 शिकायतें भेजी हैं। याचिका में कहा गया है कि इन बच्चों एवं किशोरों को प्रतिदिन 12 से 13 घंटे तक अत्यंत असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में बधुआ मजदूरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने पीठ को बताया कि अदालत के पिछले आदेश के अनुपालन में याचिकाकर्ता और एसडीएम (मुख्यालय) के बीच बैठक हुई थी लेकिन अधिकारी को कार्रवाई योग्य जानकारी साझा नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने बाल श्रम वाले स्थानों का कोई उचित पता नहीं दिया और उचित जानकारी के बिना अधिकारियों के लिए कार्रवाई करना मुश्किल होगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दावा किया कि उनसे कोई जानकारी नहीं मांगी गयी और उन्होंने अदालत से नाबालिगों को बचाने के लिए कार्रवाई की खातिर एक समयसीमा तय करने का आग्रह किया। पीठ ने कहा ‘‘हमें अधिकारियों पर भरोसा करना चाहिए और उम्मीद करनी चाहिए कि कार्रवाई की जाएगी। चीजें आपसी विश्वास पर चलती हैं। आप श्री त्रिपाठी को जानकारी दें। वह अन्य विभागों के साथ समन्वय करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कार्रवाई की जाए। यह पूरी तरह से प्राथमिकता वाला विषय है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल करें और इसे पूरा करें।’’ अदालत ने इससे पहले याचिका पर दिल्ली सरकार राजस्व विभाग दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को नोटिस जारी किया था। जनहित याचिका में कहा गया है कि संबंधित प्राधिकारियों को दो महीने से भी अधिक समय पहले शिकायतें भेजी गयी थीं और दिल्ली के आठ जिलाधिकारियों और 16 एसडीएम (उप-जिलाधिकारी) को कई स्मरण पत्र भी भेजे गए लेकिन प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें कहा गया है कि कानून के अनुसार ऐसे मामलों में 24 से 48 घंटों के कार्रवाई की जानी चाहिए।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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