बिजली की अधिकतम मांग अगले छह साल तक 15 गीगावाट सालाना की दर से बढ़ेगी: अधिकारी

नयी दिल्ली, देश में बिजली की अधिकतम मांग अगले छह वर्षों में 15 गीगावाट सालाना की दर से बढ़ेगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पिछले एक दशक में बिजली की मांग सालाना 11 गीगावाट की दर से बढ़ी है।

भारतीय बिजली एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता संघ (आईईईएमए) द्वारा आयोजित एक उद्योग सम्मेलन में बिजली विभाग के अतिरिक्त सचिव श्रीकांत नागुलापल्ली ने कहा कि 2030 तक सौर ऊर्जा घंटों के दौरान लगभग 85 गीगावाट अतिरिक्त मांग बढ़ जाएगी और गैर सौर ऊर्जा घंटों के दौरान अधिकतम मांग में 90 गीगावाट से अधिक की वृद्धि होगी।

नागुलापल्ली ने कहा  “… सालाना बढ़ोतरी इन संख्याओं को सही रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर सकती है  लेकिन यदि आप पूर्ण संख्या देखें तो यह एक बड़ी छलांग है और इस वृद्धि को पूरा करने के लिए हमारी कोयला क्षमता के साथ-साथ सौर  पवन  भंडारण और पारेषण का भी पर्याप्त विस्तार किया जा रहा है।”

नागुलापल्ली ने कहा  “पिछले 10 वर्षों में भारत की अधिकतम मांग औसतन 11 गीगावाट की दर से बढ़ी है और अगले छह साल में हम उम्मीद करते हैं कि मांग औसतन 15 गीगावाट सालाना की दर से बढ़ेगी।”

उन्होंने कहा कि लगभग 40 गीगावाट बिजली भंडारण के माध्यम से होगी। “साल 2030 तक हम भंडारण क्षमता पर निर्भर रहने का इरादा रखते हैं।’’ बिजली मंत्रालय ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से 500 गीगावाट क्षमता का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने कहा  “… हम पहले ही 200 गीगावाट (नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि) को पार कर चुके हैं और अगले छह वर्षों में अतिरिक्त 300 गीगावाट प्राप्त करना है  इसमें से (300 गीगावाट) लगभग 225 गीगावाट सौर और पवन ऊर्जा से होगा।”

क्षमता संवर्धन के बारे में उन्होंने कहा कि इस योजना में राजस्थान  गुजरात  कर्नाटक  मध्य प्रदेश आदि के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है  क्योंकि वहां सौर ऊर्जा की संभावनाओं वाली बड़ी भूमि उपलब्ध है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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