भारत ने कोविड के बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए ब्रिक्स देशों के समूह का प्रस्ताव रखा

नयी दिल्ली, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने ब्रिक्स समूह के देशों के वैज्ञानिकों, अधिकारियों और शिक्षाविदों की एक बैठक के दौरान कोविड के बाद की चुनौतियों और गैर-संचारी रोगों से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के तौर पर निपटने के लिए ब्रिक्स देशों के एक समूह का प्रस्ताव रखा है।

जैव प्रौद्योगिकी और बायोमेडिसिन पर कार्य समूह के सदस्यों ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध, दीर्घकालिक कोविड चुनौतियों, कोरोना वायरस की जटिलताओं, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल स्वास्थ्य चिकित्सा, गैर-संचारी रोगों और कैंसर आदि के क्षेत्रों में ब्रिक्स देशों के बीच अनुसंधान सहयोग को लेकर भविष्य की दिशाएं सुझायीं।

पांच ब्रिक्स देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 से लड़ने और महामारी को लेकर अपनी तैयारियों संबंधी अपने अनुभव साझा किए।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने कहा कि उन्होंने समूह में अन्य देशों के साथ सहयोग के अवसर, जैव प्रौद्योगिकी और बायोमेडिसिन के क्षेत्र में अपनी ताकत, महत्वपूर्ण मील के पत्थर और उपलब्धियों सहित अपने वर्तमान कार्य, संयुक्त वित्तपोषण के क्षेत्रों में अपने हित प्रस्तुत किये।

उसने कहा कि 25-26 मई तक आयोजित ऑनलाइन बैठक में ब्रिक्स देशों के शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और सरकारी अधिकारियों सहित 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

डीएसटी ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत ने कोविड के बाद की ​​​​चुनौतियों से निपटने, एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए ब्रिक्स के एक समूह का प्रस्ताव रखा, जबकि रूस ने स्वस्थ भोजन और पोषण के लिए सतत कृषि-जैव प्रौद्योगिकी, न्यूरो रीहैबिलिटेशन के लिए उन्नत वर्चुअल रियलिटी असिस्टेड तकनीक का प्रस्ताव रखा। चीन ने प्रमुख कार्यक्रम के रूप में कैंसर अनुसंधान का प्रस्ताव रखा।’’

भारतीय पक्ष का नेतृत्व संजीव कुमार वार्ष्णेय, सलाहकार एवं प्रमुख, अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रभाग, डीएसटी ने किया। बयान में कहा गया है कि उन्होंने ब्रिक्स बहुपक्षीय परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए वित्तपोषण सहित संसाधनों के सह-निवेश के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Flickr

%d bloggers like this: