भारत में काम व पारिवारिक प्रतिबद्धताएं 90 प्रतिशत पेशेवरों की सीखने की राह में हैं बाधक : अध्ययन

नयी दिल्ली भारत में 10 में से नौ पेशेवरों को काम तथा पारिवारिक प्रतिबद्धताओं के कारण सीखने को प्राथमिकता देना मुश्किल लगता है। हालांकि पेशेवरों के एक महत्वपूर्ण प्रतिशत ने उनकी कंपनी में सीखने की संस्कृति को विकसित करने के लिए पर्याप्त काम करने की बात कही है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अग्रणी पेशेवर नेटवर्क ‘लिंक्डइन’ के नए अध्ययन के अनुसार भारत में 91 प्रतिशत पेशेवरों को थकान या पारिवारिक जिम्मेदारियों जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ता है जो उनके सीखने के रास्ते में आ रही हैं। कौशल उन्नयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए पेशेवर लोग ‘लाउड लर्निंग’ का सहारा ले रहे हैं। ‘लाउड लर्निंग’ से तात्पर्य कार्यस्थल पर सीखने की महत्वाकांक्षाओं के बारे में मुखरता से बात रखने से है। लिंक्डइन अध्ययन के अनुसार भारत में 79 प्रतिशत पेशेवरों का मानना है कि लाउड लर्निंग में शामिल होने से उनके करियर के विकास में मदद मिल सकती है। इसके कुछ लाभ में अनुभवी पेशेवरों से मार्गदर्शन तथा सलाह के अवसर प्रदान करना (28 प्रतिशत) नए करियर के अवसरों या उन्नति के द्वार खोलना (27 प्रतिशत) और साथियों के बीच ज्ञान तथा अंतर्दृष्टि को साझा करने की सुविधा प्रदान करना (26 प्रतिशत) शामिल हैं। लिंक्डइन करियर विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ प्रबंध संपादक नीरजिता बनर्जी ने कहा ‘‘ लिंक्डइन के आंकड़ों के अनुसार भारत में नौकरी के लिए आवश्यक कौशल में 2030 तक 64 प्रतिशत परिवर्तन होने की उम्मीद है इसलिए पेशेवरों के लिए सीखने पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।’’ लिंक्डइन पेशेवरों को उनकी सीखने की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करने के लिए नए एआई-संचालित प्रीमियम टूल भी पेश कर रहा है।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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