महंगाई, बेरोजगारी पर लगाम नहीं लगायी तो चुनाव में भाजपा को दंडित करती रहेगी जनता : चिदंबरम

नयी दिल्ली, राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भाजपा नीत केंद्र सरकार को आगाह किया कि यदि उसने बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पर लगाम नहीं लगायी तो देश की जनता सत्तारूढ़ दल को उसी तरह चुनावों में दंडित करती रहेगी जैसा उसे हाल के उपचुनावों में दंडित किया गया था। चिदंबरम ने कहा कि वह आम बजट में घोषित ‘ईएलआई’ पहल से पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं और उन्हें आशंका है कि कहीं इसका हश्र भी प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरी देने के ‘चुनावी जुमले’ जैसा नहीं हो जाए। आम बजट 2024-25 और जम्मू कश्मीर के बजट पर उच्च सदन में एक साथ चर्चा प्रारंभ करते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह इस बात को लेकर विशेष प्रसन्न हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को पढ़ने का अवसर निकाला। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र की पृष्ठ संख्या 11 30 एवं 31 से अच्छे विचारों को लिया। उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों और विशेषकर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को सलाह दी कि वे कांग्रेस घोषणापत्र का अध्ययन करें ताकि पार्टी बैठकों में वे प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को उनके घोषणापत्र के कुछ और अच्छे विचारों को अपना लेने के लिए मना सकें। उन्होंने कहा ‘‘यदि आप वे विचार लेते हैं तो हम आपका समर्थन करने में बहुत बहुत प्रसन्न होंगे।’’ चिदंबरम ने कहा ‘‘नकल करना इस सदन में निषिद्ध नहीं है बल्कि नकल करने को इस सदन में प्रोत्साहन और पुरस्कार मिलता है। अत: थोड़ा और नकल करिए।’’ उन्होंने बेरोजगारी को सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए ‘सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनामी’ के अनुमानों का हवाला दिया और कहा कि जून 2024 में अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यह कुछ नीचे आ गयी हो। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पहले उत्पादन आधारित प्रोत्साहन होता था। उन्होंने कहा ‘‘जब आपने रोजगार आधारित प्रोत्साहन शुरू किया तो उसके कुछ कारण रहे होंगे। मुझे समझता हूं कि इसका कारण यह रहा कि आप उत्पादन आधारित प्रोत्साहन से जितने रोजगार सृजित होने की उम्मीद कर रहे थे वे नहीं हुए। अत: वित्त मंत्री सदन को यह बताने की कृपा करें कि पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना) के क्या परिणाम रहे ’’ कांग्रेस नेता ने सरकार को आगाह किया कि वह मुद्रास्फीति को बहुत गंभीरता से नहीं ले रही है तथा पिछले कुछ उपचुनावों में 13 में 10 सीटों पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का विजयी होना उनकी दृष्टि में सरकार के लिए एक चेतावनी है। उन्होंने कहा ‘‘यदि आप (सरकार) मुद्रास्फीति को गंभीरता से नहीं लेंगे तो आपको और दंडित किया जाएगा। याद आप दंड को झेलते रहना चाहते हैं तो यह करने के लिए आपका स्वागत है।’’ उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बारे में गुलाबी तस्वीर पेश करने के लिए सरकार पर आंकड़ों में हेरफेर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विकास दर यदि बढ़ती है तो उसे देश के आम लोगों द्वारा महसूस भी किया जाना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि 2022-23 में देश में 7.4 करोड़ करदाता थे और यह बढ़कर आठ या साढ़े आठ करोड़ हो गये होंगे। उन्होंने कहा कि इन 7.4 करोड़ करदाताओं में से 65 प्रतिशत का कर दायित्व शून्य है। उन्होंने नयी कर व्यवस्था के बारे में गुजरात के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट की गणना के हवाले से कहा कि बजट में जो छूट दी गयी है वह भारत के मात्र दो से तीन करोड़ लोगों को ही मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि देश की 142 करोड़ जनता में से मात्र दो से तीन करोड़ लोगों को कर राहत देने से भला क्या हासिल हो पाएगा उन्होंने सवाल किया कि देश के गरीब लोगों को कहां राहत मिल रही है और 30 करोड़ दैनिक पगार पाने वाले श्रमिकों को क्या राहत मिली है पूर्व वित्त मंत्री ने 125 देशों के भुखमरी सूचकांक में भारत को 111वां स्थान मिलने का उल्लेख करते हुए कहा कि भले ही सरकार इस सूचकांक को नकार दे किंतु देश के 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाना इस बात की स्वीकारोक्ति है कि देश भुखमरी सूचकांक में काफी नीचे है। यह बताता है कि लोग भोजन भी वहन नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने संघवाद की चर्चा करते हुए दावा किया कि केरल और पश्चिम बंगाल का धन रोका जा रहा है तथा गैर-भाजपा राज्य सरकारों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार का इस अप्रैल से पहले आंध्र प्रदेश ओडिशा और बिहार के प्रति क्या रुख था उन्होंने कहा कि इन राज्यों की यह मांग पहले से थी किंतु उनके साथ पहले कैसे व्यवहार किया जाता था चिदंबरम ने कहा कि उन्हें इस बात से कोई शिकायत नहीं है कि आंध्र प्रदेश और बिहार को राहत दी गयी किंतु किसी अन्य राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तमिलनाडु में पैदा हुईं और पढ़ाई कीं किंतु उनके भाषण में इस राज्य का एक भी बार नाम नहीं लिया गया। उन्होंने वित्त मंत्री से पांच मांग पर विचार कर लागू करने को कहा। इनमें सभी रोजगारों के लिए प्रति दिन 400 रूपये का न्यूनतम पगार तय करना एमएसपी को कानूनी गारंटी देना मार्च 2024 तक दिये गये शिक्षा ऋण के ब्याज और बकाया किस्तों को माफ करना अग्निवीर योजना को पूरी तरह समाप्त करना तथा नीट समाप्त करना शामिल है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ राज्य इसे जारी रखना चाहे तो अन्य राज्यों को इससे छूट दी जाए। उन्होंने कहा कि यह पांच मांगें न केवल इस सदन में उठती रहेंगी बल्कि इंडिया गठबंधन को जहां भी अपनी बात रखने का मौका मिलेगा वहां इनकी प्रतिध्वनि सुनने को मिलेगी।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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