मेरे कोच को प्रताड़ित किया जा रहा, राजनीति के कारण अभ्यास पर पड़ रहा असर: लवलीना

बर्मिंघम, ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने सोमवार को आरोप लगाया कि उनके कोच को अधिकारियों से ‘लगातार उत्पीड़न’ का सामना करना पड़ रहा है जिससे राष्ट्रमंडल खेलों की उनकी तैयारियों में बाधा आ रही है।

भारतीय मुक्केबाजी टीम रविवार रात आयरलैंड में अभ्यास शिविर के बाद यहां खेल गांव पहुंची, लेकिन लवलीना की निजी कोच संध्या गुरुंग खेलगांव में प्रवेश नहीं कर सकीं क्योंकि उनके पास एक्रीडिटेशन (मान्यता) नहीं था।

लवलीना संभवत: राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान अपने निजी कोच अमेय कोलेकर को अपने साथ रखना चाहती थीं, लेकिन वह भारतीय दल की लंबी सूची में शामिल नहीं थे।

उन्होंने ट्विटर पर एक लंबे पोस्ट में अपनी पीड़ा साझा की।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ आज मैं बहुत दुख के साथ कह रही हूं कि मुझे (मानसिक तौर पर) प्रताड़ित किया जा रहा है। ओलंपिक में पदक लाने में मेरी मदद करने वाले कोच को मेरे अभ्यास और प्रतियोगिता के समय हर बार हटाकर मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘ इनमें से एक कोच संध्या गुरुंग द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता भी है। मेरे दोनों कोच को शिविर में अभ्यास के लिए हजार बार हाथ जोड़ने के बाद बहुत देरी से शामिल किया जाता है। इससे मुझे अभ्यास में बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। और मानसिक प्रताड़ना तो होती ही है।’’

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता ने कहा, ‘‘ अभी मेरी कोच संध्या गुरुंग राष्ट्रमंडल खेल गांव के बाहर है। उन्हें प्रवेश नहीं मिल रहा है। इससे मेरा अभ्यास खेल से ठीक आठ दिन पहले रुक गया है। मेरे दूसरे कोच को भी भारत वापस भेज दिया गया है।’’

मुक्केबाज के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए खेल मंत्रालय ने कहा कि उसने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने का निर्देश दिया है।

मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘हमने भारतीय ओलंपिक संघ से लवलीना बोरगोहेन के कोच की एक्रीडिटेशन की तत्काल व्यवस्था करने का आग्रह किया है।’’

लवलीना ने आरोप लगाया कि विश्व चैम्पियनशिप (इस्तांबुल) से पहले भी उनके साथ ऐसा ही बर्ताव हुआ था। उन्हें डर है कि बर्मिंघम में भी उनके साथ ऐसा होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी इतनी गुजारिश करने के बाद भी ये हुआ है, इसने मुझे मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं खेल पर कैसे ध्यान दूं। इसी वजह से पिछली विश्व चैम्पियनशिप में मेरा प्रदर्शन खराब रहा था। इस राजनीति के चलते मैं राष्ट्रमंडल खेल में अपना प्रदर्शन खराब नहीं करना चाहती हूं।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘आशा करती हूं कि मैं अपने देश के लिए इस राजनीति को तोड़ कर पदक ला पाऊं। जय हिंद।’’

स्ट्रेंथ एवं अनुकूलन कोच कोलेकर के बारे में पता चला है कि उनका नाम उस सूची में नहीं था जिसे भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने आईओए के पास भेजा था।

खेलों के दौरान मुक्केबाजों की मदद करने के लिए भारतीय टीम के पास पहले से ही एक स्ट्रेंथ एवं अनुकूलन कोच है।

आईओए ने कहा कि उसने असम की मुक्केबाज द्वारा की गयी शिकायत पर संज्ञान लिया है।

आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष अनिल खन्ना ने एक बयान में कहा, ‘‘सुश्री गुरुंग को अनुमति देने के मामले में बर्मिंघम 2022 राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति की राष्ट्रीय प्रतिनिमंडलों के साथ प्रतिनिधिमंडल पंजीकरण की बैठक के बाद देरी से अनुरोध मिला।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, आईओए द्वारा भारतीय एथलीटों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने के मद्देनजर बर्मिंघम 2022 राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से खास अनुरोध किया गया है कि सुश्री गुरुंग को प्राथमिकता के आधार पर आवश्यक अनुमति दी जाए।’’

इस बीच भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने कहा कि वह मामले का उचित समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है।

साइ ने कहा, ‘‘ साइ ने मामले को बीएफआई के समक्ष उठाया है। खेल मंत्रालय आईओए से बात कर मामले को सुलझाने और लवलीना को सर्वश्रेष्ठ तैयारी करने में मदद सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। वह इन खेलों में पदक की मजबूत दावेदार है।’’

इस मामले में बीएफआई ने बयान में कहा कि नियमों के मुताबिक दल में सहयोगी स्टाफ की संख्या खिलाड़ियों की संख्या का एक तिहाई (33 प्रतिशत) होती है। भारतीय मुक्केबाजी दल में 12 खिलाड़ी (आठ पुरुष और चार महिला) है । इसके मुताबिक टीम के साथ चार सहयोगी सदस्य रह सकते हैं।

बीएफआई ने कहा, ‘‘कोच और सहयोगी सदस्य के संबंध में मुक्केबाजी की आवश्यकता थोड़ी अलग है क्योंकि एक के बाद एक कई मुकाबले हो सकते हैं।’’

बयान के मुताबिक, ‘‘आईओए की मदद से, 12 मुक्केबाजों के दल के लिए सहयोगी स्टाफ की संख्या चार से बढ़कर आठ कर दी गयी।’’

लवलीना के ‘अभ्यास और अनुकूलन शिविर के दौरान कोच को शामिल करने के लिए भीख मांगनी पड़ी’ के आरोपों प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ हमने सुनिश्चित किया कि संध्या गुरुंग आयरलैंड में प्रशिक्षण शिविर में मौजूद रहे।’’

इस मामले में आईओए ने गेंद बीएफआई के पाले में डालते हुए कहा यह संबंधित खेल संघ के ऊपर है कि वे दल में किसे ले जाना चाहते हैं।

आमतौर पर किसी भी बड़े खेल आयोजन में भाग लेने वाला देश सहयोगी स्टाफ और अधिकारियों की ‘लंबी सूची’ बनाता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं की सूची में शामिल सभी लोग दौरे पर जायेंगे। इस सूची में हालांकि संध्या का नाम था।

मेहता ने कहा, ‘‘ ‘लंबी सूची’ में 1200 नाम थे और 215 खिलाड़ी इन खेलों के लिए जा रहे हैं। नियमों के मुताबिक वे (बीएफआई) चार सहयोगी स्टाफ के हकदार हैं लेकिन हमने उनके निवेदन पर आठ सहयोगी सदस्यों की मंजूरी दी है। यह संबंधित खेल संघ के ऊपर है कि वे टीम में किसे ले जाना चाहते है। आईओए अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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