म्यांमा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े, रबर की गोलियां चलायी

यांगून, म्यांमा में पिछले महीने हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने एक बार फिर आंसू गैस के गोले छोड़े और रबर की गोलियां चलायीं। प्रदर्शनकारी पुलिस कार्रवाई के बाद फिर से एकत्रित हुए।

म्यांमा के प्राधिकारियों ने हाल के दिनों में विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई बढ़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उसका मानना है कि रविवार को सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम 18 लोग मारे गए थे। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को इस संकट पर चर्चा के लिए बैठक की ।

कार्रवाई के बावजूद प्रदर्शनकारियों का बड़ी संख्या में सड़कों पर जमा होना जारी है। प्रदर्शनकारी उन्हें तितर-बितर करने के प्रयासों का अधिक कड़ाई से विरोध करने लगे हैं। म्यांमा के सबसे बड़े शहर यांगून में सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हुए जिसमें से कई ने निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले हेल्मेट पहने हुए थे। वहां एक दिन पहले पुलिस ने कई बार आंसू गैस के गोले दागे थे। उन्होंने बैरिकेड बनाने के लिए बांस और मलबे का इस्तेमाल किया और नारे लगाए।

पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े जाने पर प्रदर्शनकारी भाग जाते थे लेकिन जल्द ही अपने बैरिकेड पर एकत्रित हो जाते थे। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में उत्तरी यांगून के इंसेन इलाके में इसी तरह के अराजक दृश्य दिखाई दिए।

प्रदर्शनकारियों ने दक्षिणपूर्वी म्यांमा के एक छोटे शहर दावी की सड़कों पर मार्च किया,इस दौरान वे झंडे और बैनर लिये हुए थे। प्रदर्शनकारियों के एक समूह को सुरक्षा बलों द्वारा निशाना बनाया गया क्योंकि यह समूह रविवार की कार्रवाई में मारे गए एक व्यक्ति के घर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक संकरी गली में घुस रहा था। एक अन्य समूह पर शहर के मध्य में मुख्य सड़क पर हमला किया गया।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार यांगून और दावी उन शहरों में हैं जहां सुरक्षा बलों ने रविवार को कथित रूप से भारी मात्रा में गोलाबारी की। ऐसी सूचना है कि उन्होंने मंगलवार को भी गोलीबारी की लेकिन तुरंत इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी।

संयुक्त राष्ट्र की म्यांमा पर विशेष दूत क्रिस्टीन श्रैनर बर्गनर ने सीएनएन से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं म्यांमा के लोगों से इस जाल में न पड़ने की अपील करता हूं, इसलिए वे शांतिपूर्ण रहें।’’ उन्होंने साथ ही यह स्वीकार किया कि उनके लिए प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए अपील करना आसान है। उन्होंने प्राधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे सड़कों पर लोगों को और भड़काने के लिए हिरासत में लोगों की स्थितियों के बारे में अफवाहें फैला रहे हैं।

म्यांमा में एक फरवरी को सेना ने तख्तापलट करके देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikipedia

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