यमुना प्रदूषण: प्रदूषकों के बारे में आंकड़े जुटाने के लिए 32 ऑनलाइन निगरानी स्टेशन स्थापित होंगे

नयी दिल्ली, दिल्ली सरकार ने यमुना नदी और इसमें गिरने वाले विभिन्न खुले नालों के किनारे 32 ऑनलाइन निगरानी स्टेशन स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है ताकि इस नदी में गिरने वाले प्रदूषकों के बारे में वास्तविक समय के आंकड़े प्राप्त किए जा सकें। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को विभिन्न मापदंडों पर नालों और यमुना की ऑनलाइन निगरानी के लिए 32 जल गुणवत्ता निगरानी प्रणाली स्थापित करनी है। इन मापदंडों में जैविक ऑक्सीजन मांग रासायनिक ऑक्सीजन मांग कुल प्रसुप्त ठोस वस्तुएं कुल नाइट्रोजन (नाइट्रेट और नाइट्राइट के रूप में) कुल फॉस्फोरस अमोनिया आदि शामिल हैं। ऑनलाइन निगरानी स्टेशनों (ओएलएमएस) को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नवीनतम दिशानिर्देशों और मानक संचालन प्रक्रियाओं के सटीक अनुपालन में सप्ताह के सातों दिन और चौबीसों घंटे डीपीसीसी के सर्वर पर निरंतर डेटा ट्रांसमिशन सुविधा के साथ वांछित डेटा की ऑनलाइन निगरानी करनी है। डीपीसीसी के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल के अंत तक कुल 32 ओएलएमएस स्थापित किए जाने की उम्मीद है जिनमें से 14 स्टेशन यमुना नदी पर और 18 विभिन्न नालों पर होंगे। अधिकारी ने कहा ‘‘इससे नालों और नदी के निर्धारित स्थान पर पानी की गुणवत्ता पर वास्तविक समय का डेटा प्राप्त करने में मदद मिलेगी जिसे नियंत्रण एवं निगरानी केंद्र में देखा जा सकता है। इससे स्थिति के बिगड़ने के स्थान और समय की आसानी से पहचान की जा सकती है।’’ ओएमएलएस के प्रस्तावित स्थानों में पल्ला आईएसबीटी पुल आईटीओ पुल निजामुद्दीन पुल ओखला बैराज नजफगढ़ नाला मेटकाफ हाउस नाला खैबर पास नाला स्वीपर कॉलोनी नाला आदि शामिल हैं। दिल्ली में प्रतिदिन 79.20 करोड़ गैलन सीवेज निकलता है। राजधानी में 37 मलजल प्रक्रिया संयंत्र (एसटीपी) की संयुक्त क्षमता प्रतिदिन 66.70 करोड़ गैलन की है। सरकारी रिपोर्टों के अनुसार दिल्ली में वजीराबाद और ओखला के बीच यमुना का 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा इसके 80 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मदार है। बाईस किलोमीटर का यह हिस्सा यमुना नदी की कुल लंबाई का दो प्रतिशत से भी कम है।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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