राष्ट्रपति ने दिल्ली में मानवाधिकार पर एशिया प्रशांत मंच के सम्मेलन का उद्घाटन किया

गत दिवस राजधानी में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने मानवाधिकार पर एशिया प्रशांत फोरम की वार्षिक आम बैठक और द्विवार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने मानवाधिकारों और पर्यावरण के अंतर्संबंध पर जोर दिया, और सभी से मानवीय कार्यों द्वारा प्रकृति को दिए गए घावों को पहचानने और ठीक करने का आग्रह किया। उन्होंने ब्रह्मांड के प्रत्येक कण की दिव्यता में भारत के विश्वास और संरक्षण के लिए प्रकृति के प्रति हमारे प्रेम को फिर से जगाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मनुष्य में रचनात्मक और विनाशकारी दोनों क्षमताएं होती हैं, उन्होंने मानव निर्मित विनाश के कारण संभावित छठे विलुप्त होने के चरण की चेतावनी दी। उन्होंने मानवाधिकारों की व्यापक सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नैतिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।

उन्होंने लैंगिक न्याय में भारत की उपलब्धियों और राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय संसद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के चल रहे प्रयासों को भी लैंगिक समानता के लिए एक परिवर्तनकारी कदम बताया। राष्ट्रपति मुर्मू ने मानवाधिकारों को बढ़ाने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने की भारत की इच्छा व्यक्त की और दुनिया भर में मानवाधिकार संस्थानों और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने में एशिया प्रशांत क्षेत्र मंच की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

%d bloggers like this: