शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए केंद्र और राज्यों के प्रयासों में समन्वय की जरूरत: आर्थिक समीक्षा

नयी दिल्ली संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि शिक्षा विशेषकर प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए केंद्र राज्यों और स्थानीय निकायों के प्रयासों में समन्वय की आवश्यकता है। समीक्षा में उम्मीद जताई गई है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की मदद से निकट भविष्य में तीसरी कक्षा उत्तीर्ण करने वाला प्रत्येक बच्चा बुनियादी साक्षरता और अंकगणित कौशल हासिल कर लेगा। इसमें कहा गया है कि भारत के विकास के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है तथा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बेहतर तरीके से तैयार किए गए और अच्छी मंशा से बनाए गए कार्यक्रमों का ‘मिशन-मोड’ पर और लागत प्रभावी कार्यान्वयन आवश्यक है। इसमें कहा गया है कि विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ये कदम आवश्यक हैं क्योंकि इसके बिना आगे के वर्षों की शिक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाता। समीक्षा दस्तावेज में कहा गया है ‘‘इसे साकार करने के लिए केंद्र राज्य और स्थानीय सरकारों के प्रयासों में एकरूपता और उद्देश्य की एकजुटता की आवश्यकता है क्योंकि ‘सार्वजनिक शिक्षा’ समवर्ती सूची का विषय है।’’ समीक्षा के अनुसार शिक्षा सहित सामाजिक सेवाओं पर सरकार का खर्च वित्त वर्ष 2024 में 9.36 प्रतिशत बढ़कर 23.50 लाख करोड़ रुपये हो गया जो वित्त वर्ष 2023 में 21.49 लाख करोड़ रुपये था। कुल व्यय में से वित्त वर्ष 2024 के दौरान केवल शिक्षा पर 8.28 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए जबकि वित्त वर्ष 2023 में इस पर 7.68 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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